छत्रपति संभाजीनगर, 17 जुलाई (भाषा) यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े 12 किलों के संरक्षण के लिए 10 वर्षीय व्यापक योजना बनाई गई है जिसमें ऐतिहासिक विशेषताओं को बरकरार रखने, कचरा प्रबंधन और श्रमशक्ति की तैनाती पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
इन किलों को हाल में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इन किलों के आसपास के क्षेत्रों के संरक्षण को भी प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि ये क्षेत्र बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इस कार्य में विभिन्न विभाग शामिल होंगे।
यूनेस्को ने ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप’ को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है, जिसमें महाराष्ट्र में स्थित साल्हेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु में बना जिंजी किला शामिल हैं।
एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर प्रत्येक किले की अनूठी स्थलाकृति और ऐतिहासिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए संरक्षण की जटिलताओं को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि यूनेस्को का दर्जा मिल गया है फिर भी कुछ चुनौतियां हैं जिनसे हमें पार पाना होगा। हमने सभी 12 किलों में इन समस्याओं से निपटने के लिए 10-वर्षीय योजना तैयार की है।’’
उन्होंने कहा कि हर किले की अपनी अलग विशेषताएं होती हैं, इसलिए सभी में एक समान दृष्टिकोण कारगर नहीं होगा।
अधिकारी ने कहा,‘‘ संरक्षण एक प्रमुख कार्य है जिसे विस्तृत अध्ययन के बाद क्रियान्वित किया जाएगा। हम उन क्षेत्रों से शुरुआत करेंगे जहां भारी संख्या में लोग आते हैं – इसमें द्वार, किले और अन्य ऐतिहासिक संरचनाएं शामिल हो सकती हैं।’’
अधिकारी ने कहा कि इसके बाद दुर्गम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि उन्हें आगंतुकों के लिए सुरक्षित बनाया जा सके और यह पहल किसी एक विभाग तक सीमित नहीं रहेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आगंतुकों की पहुंच और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए जिला योजना समितियों, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), पर्यटन विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेंगे।’’
भाषा शोभना वैभव
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