बेंगलुरु, 17 जुलाई (भाषा) इटली के महावाणिज्यदूत अल्फोंसो टैगलियाफेरी के लिए बेंगलुरु का बदनाम यातायात नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्थानों की कमी शहर में रहने का सबसे बड़ी परेशानी है।
बेंगलुरु में तैनात किये जाने वाले पहले इतालवी महावाणिज्यदूत टैग्लियाफेरी इस सप्ताह सूचना प्रौद्योगिकी आधारित इस शहर में अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे।
टैग्लियाफेरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘एक इतालवी के लिए, एक ‘पियाज़ा (एकत्र होने के लिए खुली जगह)’ या एक चौक बहुत महत्वपूर्ण होता है। मेरे लिए लोकतंत्र का यही मतलब है।’’
उन्होंने याद किया कि कैसे बचपन में, कभी-कभी वे अपने दोस्तों के साथ ‘पियाजा’ जाते थे और वहां सीढ़ियों पर बैठकर कभी बीयर पीते, कभी पढ़ते या कभी-कभी यूं ही दूसरों से बातें करते रहते थे।
महावाणिज्यदूत ने कहा, ‘‘और उस जगह पर, संयोग से, आपकी मुलाकात दूसरे लोगों से होती है, आप एक समुदाय बनाते हैं और आप चीजों पर चर्चा करते हैं। बेंगलुरु में यह सब नहीं है, वैसे तो यह एक स्वागतयोग्य शहर है।’’
टैग्लियाफेरी ने बताया कि बेंगलुरु में जो सार्वजनिक जगहें उपलब्ध हैं वे बहुत ज्यादा उच्चकुलीन तरह की हैं। उन्होंने कहा कि यहां घूमना-फिरना आमतौर पर एक व्यावसायिक मामला है।
उन्होंने कहा, ‘‘चीजें बहुत अधिक ही निजी हो गयीं है। लोग अपनी कार लेते हैं, किसी रेस्तरां में जाते हैं, उसका अनुभव करते हैं और फिर वापस घर आ जाते हैं।’’
उनके अनुसार बेंगलुरु से मिली सबसे बड़ी सीख यह है कि उन्हें यह एहसास हुआ कि जब लोग लचीले होते हैं, तो लगभग कुछ भी संभव है।
महावाणिज्य दूत ने कहा, ‘‘मैं बहुत सारे विचार लेकर आया था और मैंने जो सपने देखे थे, उनमें से अधिकतर सच साबित हुए। कभी-कभी, चीजों का अंदाज़ा लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। हर चीज बिल्कुल विस्तार से नहीं की जाती, जैसे हम यूरोप में करते हैं। लेकिन यूरोप में कई चीजें हो ही नहीं पातीं क्योंकि लोग उन्हें पूरी तरह से करने में इतने मशगूल रहते हैं। यहां, ‘चलो इसे करते हैं’ वाला विचार है।’’
विधि स्नातक टैग्लियाफेरी ने कहा कि उन्हें यह समझने में ज़्यादा समय नहीं लगा कि वह वकील बनने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
महावाणिज्य दूत ने कहा,‘‘मैंने कुछ समय तक पत्रकार बनने की कोशिश की, लेकिन अंततः परीक्षा देने और इतालवी विदेश मंत्रालय में राजनयिक करियर बनाने का फैसला किया।’’
वह अगले साल जर्मनी के बर्लिन जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं भारत आया, तो मुझे नहीं पता था कि क्या उम्मीद करूं। यह मेरा यहां पहला अनुभव था। इटली का नया महावाणिज्य दूतावास खुलने पर बेंगलुरु आने से पहले मैं कुछ महीने कोलकाता में रहा।’’
टैग्लियाफेरी भारत आने से पहले चिली, फिलीपीन और दक्षिण अफ्रीका में रह चुके हैं और काम कर चुके हैं।
भाषा राजकुमार माधव
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