बेंगलुरु, 19 जुलाई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की पूर्व कार्यकारी अधिकारी लतिका पई और इस प्रौद्योगिकी कंपनी के बीच कानूनी लड़ाई में निचली अदालत के आदेशों को तीसरे पक्ष द्वारा प्रकाशित किया जा सकता है और संभावित प्रकाशन प्रतिबंध संबंधी चिंताओं को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने 14 जुलाई के आदेश में कहा कि निचली अदालत की भाषा हालांकि शुरू में प्रकाशन पर रोक लगाने वाली लग सकती है, लेकिन गहराई से जांच करने पर पता चलता है कि यह प्रतिबंध केवल पई पर ही लागू होता है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘…‘न्यायालय के आदेश को प्रकाशित न करें’ वाक्यांश की व्याख्या वादी के संदर्भ में की जानी चाहिए। यह दर्शाता है कि वादी को आदेश प्रकाशित करने से रोका गया है, न कि आदेश को प्रकाशित किये जाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है।’’
पई ने बेंगलुरु की निचली अदालत में यह आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी कि उनके द्वारा देखरेख की गई एक परियोजना से संबंधित एक गहन आंतरिक जांच के बाद उन्हें माइक्रोसॉफ्ट से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने दावा किया कि चार साल तक चली इस जांच-पड़ताल से उनकी पेशेवर प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला।
माइक्रोसॉफ्ट ने इन आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया है।
शुरुआत में, पई ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपना दीवानी मुकदमा दायर किया था, लेकिन बाद में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा न्यायालय के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने के बाद उन्होंने इसे वापस ले लिया। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु की एक अदालत में मामला फिर से दायर किया।
माइक्रोसॉफ्ट ने नौ जून को निचली अदालत में दलील दी थी कि वह सभी संबंधित दस्तावेज सुरक्षित रखेगी। अदालत ने इस आश्वासन पर गौर किया और पई को निर्देश दिया कि अगली सूचना तक अदालत के आदेश का प्रचार न करें।
जवाब में, पई ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर अपने ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती दी।
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देवेंद्र सुरेश
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