नयी दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) आपदा क्षेत्रों में मृतकों या मानव अवशेषों को सूंघकर शवों को खोज सकने की क्षमता वाले खोजी कुत्तों (कैडेवर डॉग) की पहली टुकड़ी को जल्द ही सेवा में शामिल करेगा। एजेंसी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि तमिलनाडु के अरक्कोणम और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित एनडीआरएफ बटालियन के बेस पर पिछले कुछ महीनों से ऐसे छह से अधिक कुत्तों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि अधिकतर बेल्जियन मैलिनोइस और लैब्राडोर नस्ल के विशेष कुत्तों को प्रशिक्षित करने के लिए बल ने विदेश से एक विशेष गंध मंगाई है, जो मृत शरीर से निकलने वाली गंध की तरह है।
एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘एनडीआरएफ का ध्यान जिंदगियां बचाने पर केंद्रित रहा है। आपदा के दौरान जीवित बचे लोगों को खोजना बचावकर्मियों का मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है, इसलिए मृतकों या मानव अवशेषों को ढूंढना उनकी प्राथमिकता नहीं थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमने देखा है कि भूस्खलन की घटनाओं, ट्रेन या सड़क हादसों के दौरान एनडीआरएफ को मलबे के नीचे से शवों को निकालने का काम भी सौंपा जाता है।’’
उन्होंने कहा कि परिजनों को सांत्वना देने के लिए शवों या मानव अवशेषों का मिलना महत्वपूर्ण है।
अधिकारी ने बताया कि कुछ महीने पहले एनडीआरएफ ने शवों की तलाश करने वाले कुत्तों को प्रशिक्षित करने का अपना पहला अभ्यास शुरू किया।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ऐसे कुत्तों को प्रशिक्षित करना एक चुनौती है, प्रशिक्षण के लिए मानव शरीर या शरीर के अंगों की आवश्यकता होती है जो आसानी से उपलब्ध नहीं होते। इसलिए एनडीआरएफ के कुत्तों को प्रशिक्षित करने के लिए विदेश से एक विशेष गंध मंगवाई गई, जो मृतकों या मानव अवशेषों से निकलने वाली गंध की तरह है।’’
उन्होंने बताया कि इन कुत्तों का प्रशिक्षण अगले महीने तक पूरा हो जाने की संभावना है। इसके बाद, उन्हें देश भर में एनडीआरएफ की कुल 16 बटालियन में से कुछ विशिष्ट बटालियन में तैनात किया जाएगा।
भाषा यासिर सिम्मी
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