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Monday, July 21, 2025

पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार के दामाद की हत्या के मामले तीन को आजीवन कारावास

Newsपूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार के दामाद की हत्या के मामले तीन को आजीवन कारावास

बरेली (उप्र) 20 जुलाई (भाषा) बरेली जिले की एक अदालत ने पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार के रिश्ते के दामाद की हत्या के जुर्म में तीन व्यक्तियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। अभियान ने रविवार को यह जानकारी दी।

अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी-अपराध) राजेश्वरी गंगवार ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सप्तम) तबरेज अहमद की अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद शनिवार को सेना के पूर्व हवलदार सतेंद्र पाल सिंह उर्फ पिंटू राणा, उसके भाई रविंद्र पाल सिंह उर्फ रिंकू राणा और साले मंजीत सिंह उर्फ मोनू को दोषी करार देते हुए उन्हें सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई । साथ ही तीनों दोषियों पर कुल 6.90 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

घटना में मारे गये राजपाल गंगवार उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार के रिश्ते के दामाद (भतीजी के पति) थे। इस वजह से अदालत के फैसले पर सबकी निगाहें लगी थीं।

घटना 24 मार्च 2016 को बरेली के थाना प्रेमनगर क्षेत्र स्थित शास्त्रीनगर में उस समय हुई जब भगवत सरन गंगवार के छोटे भाई योगेंद्र गंगवार के घर पर होली का उत्सव चल रहा था जहां योगेंद्र के घर पर उनकी भतीजी अपने पति राजपाल गंगवार के साथ आई हुई थीं। पड़ोसी सतेंद्र पाल सिंह उर्फ पिंटू राणा के घर आए मेहमानों ने गली में वाहन खड़ा कर रास्ता अवरुद्ध कर दिया था। योगेन्द्र ने वाहन हटाने को कहा तो विवाद बढ़ गया और आरोपियों ने लाइसेंसी बंदूक से राजपाल गंगवार की गोली मारकर हत्या कर दी और अन्य परिजनों पर भी हमला किया।

इस मामले में प्रेमनगर थाना में हत्या, हत्या के प्रयास समेत अन्य संबंधित धाराओं में सतेन्द्र पाल सिंह (55), रिंकू राणा (45) और मोनू (25) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी।

एडीजीसी (अपराध) राजेश्वरी गंगवार ने बताया कि इस मामले में 13 गवाह पेश किए गए, जिनमें प्रमुख रूप से योगेंद्र गंगवार, तेजपाल गंगवार व अभिनव गंगवार समेत परिवार के सदस्य और अन्य चश्मदीद शामिल रहे। अदालत ने सुनवाई पूरी कर शनिवार को सजा सुनाई।

पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार ने अदालत के इस फैसले पर संतोष जताते हुए कहा, “यह सिर्फ उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक मिसाल है कि न्याय जरूर मिलता है, भले ही देर हो।”

उन्होंने बताया कि उनके भतीजी के दो छोटे बच्चे हैं, जिनकी परवरिश और मानसिक संतुलन बनाए रखने में पूरे परिवार को एकजुट होना पड़ा।

भाषा सं आनन्द नोमान

नोमान

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