तिरुवनंतपुरम, 20 जुलाई (भाषा) केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने लोगों से राज्य के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को ‘‘कमजोर’’ करने के किसी भी प्रयास के प्रति सतर्क रहने का आग्रह किया।
श्री नारायण धर्म परिपालन (एसएनडीपी) योगम के महासचिव वेल्लप्पल्ली नटेसन का नाम लिए बिना माकपा राज्य सचिवालय के एक बयान में कहा गया कि वाम मोर्चा सरकार समाज के सभी वर्गों की शिकायतों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बयान में कहा गया, ‘‘सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता सरकार की नीति का आधार हैं।’’
एसएनडीपी महासचिव के रूप में अपने 30 वर्ष पूरे होने के मौके पर कोच्चि में आयोजित एक सम्मान समारोह में नटेसन ने कहा कि अल्पसंख्यक नेताओं के विरोध के बावजूद, वह सामाजिक न्याय और ‘‘पिछड़े एझावा समुदाय की उपेक्षा’’ के बारे में बोलना जारी रखेंगे।
माकपा के बयान में कहा गया है कि पार्टी अल्पसंख्यक अधिकारों को धर्मनिरपेक्षता की सुरक्षा के लिए आवश्यक मानती है।
इसमें कहा गया है, ‘‘केवल एक धर्मनिरपेक्ष समाज में ही सभी धर्मों के लोग – और वे लोग भी जो किसी धर्म को नहीं मानते – लोकतांत्रिक ढंग से काम कर सकते हैं।’’
इसमें कहा गया है कि एलडीएफ सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों का उद्देश्य सभी समुदायों के गरीब वर्गों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है।
बयान में कहा गया है कि कम्युनिस्ट पार्टी ने केरल के पुनर्जागरण आंदोलनों से प्रेरणा ली है और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए काम किया है।
इसमें कहा गया है कि श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित एसएनडीपी ने इस सिद्धांत को कायम रखा कि सभी धर्मों का सार एक ही है।
बयान में कहा गया है, ‘‘संगठन को धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। कोई भी किसी विशेष समुदाय के मुद्दे उठा सकता है, लेकिन इस तरह नहीं जिससे धार्मिक विद्वेष भड़के।’’
इससे पहले दिन में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने नटेसन की टिप्पणी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि समाज को बांटने के किसी भी प्रयास का विरोध किया जाना चाहिए।
कोच्चि में सतीशन ने कहा कि नटेसन की टिप्पणी एसएनडीपी के संस्थापक श्री नारायण गुरु के ‘‘आदर्शों के विरुद्ध है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘समुदाय के नेताओं को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो लोगों के बीच विभाजन पैदा करते हैं।’’
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के राष्ट्रीय महासचिव पी के कुन्हालीकुट्टी ने भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नटेसन की ‘‘अनुचित’’ टिप्पणी की निंदा की।
भाषा
देवेंद्र संतोष
संतोष