(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, पांच जून (भाषा) नेपाल की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने पूर्व प्रधानमंत्री एवं सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल के खिलाफ भूमि घोटाले के सिलसिले में एक मुकदमा दायर किया है।
‘काठमांडू पोस्ट’ समाचार पत्र की खबर के अनुसार, पद के दुरुपयोग की जांच संबंधी आयोग (सीआईएए) ने पतंजलि भूमि सौदा मामले में कथित संलिप्तता के लिए माधव नेपाल और 92 अन्य के खिलाफ एक विशेष अदालत में मुकदमा दायर किया।
इसपर, पतंजलि की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सीआईएए ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कावरेपालनचोक जिले में भूमि सीमा छूट के तहत जमीन खरीदी थी। हालांकि, सरकारी रियायत के तहत अधिग्रहीत जमीन को कैबिनेट स्तर की मंजूरी के साथ बेच दिया गया था।
साल 2010 में माधव नेपाल की सरकार के दौरान कैबिनेट ने भूमि सीमा छूट के तहत भूमि की खरीद को मंजूरी दी थी। सीआईएए ने कहा कि तय सीमा से अधिक भूमि बेची गई, जो कानून का उल्लंघन है।
नेपाल में संभवतः यह पहली बार है कि भ्रष्टाचार रोधी संस्था ने किसी पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
सीआईएए ने पूर्व कानून मंत्री प्रेम बहादुर सिंह, पूर्व भूमि सुधार मंत्री डंबर श्रेष्ठ और पूर्व मुख्य सचिव माधव प्रसाद घिमिरे समेत 93 व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार, एजेंसी ने अदालत से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (2002) की संबंधित धाराओं के तहत आरोपियों को जेल की सजा सुनाने और जुर्माना लगाने के साथ-साथ 18.585 करोड़ नेपाली रुपये वसूल करने का भी अनुरोध किया है।
माधव नेपाल ने बृहस्पतिवार को अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और वह कानूनी प्रक्रिया का सामना करने के लिए तैयार हैं।
अपने गृह जिले रौतहट में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली मुकदमा दायर करा कर उनका राजनीतिक करियर खत्म करना चाहते हैं।
‘माय रिपब्लिका’ अखबार में माधव नेपाल के हवाले से कहा गया है, “मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और न ही मैं किसी गलत काम को बढ़ावा देना चाहता हूं।’
मई 2009 से फरवरी 2011 तक प्रधानमंत्री रहे माधव नेपाल ने कहा, “न्याय और सत्य से बड़ा कुछ नहीं है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ साजिश रची गई है और उनके राजनीतिक करियर को खत्म करने के इरादे से यह मुकदमा दायर किया गया है।
मुकदमा दायर होने के बाद, मौजूदा सांसद माधव नेपाल की संसद सदस्यता अपने आप ही खत्म हो गई है।
नेपाल के कानून के अनुसार, भ्रष्टाचार के आरोप का सामना करने वाले सभी सरकारी कर्मचारी उस वक्त तक स्वतः ही निलंबित हो जाते हैं, जब तक कि मामले में कोई निष्कर्ष नहीं निकल जाता।
भाषा जोहेब सुभाष
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