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Tuesday, August 12, 2025

निर्वाचन आयोग ने 476 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को असूचीबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू की

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नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) निर्वाचन आयोग (ईसी) ने सोमवार को कहा कि उसने पिछले छह वर्षों में एक भी चुनाव लड़ने सहित प्रमुख मानदंडों का पालन करने में विफल रहने के कारण 476 अन्य पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को असूचीबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू की है।

निर्वाचन आयोग ने यह कदम चुनावी कानूनों और संबंधित नियमों का पालन करने में विफल रहने के कारण 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को सूची से बाहर किए जाने के एक दिन बाद उठाया है।

निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा, ‘‘इस कार्यवाही के दूसरे दौर के हिस्से के रूप में, 476 अन्य आरयूपीपी की पहचान की गई है, जो देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पार्टी अनुचित रूप से सूची से बाहर न हो जाए, संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) को इन आरयूपीपी को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद संबंधित सीईओ द्वारा सुनवाई के माध्यम से दलों को एक अवसर दिया जाएगा।’’

सूची से बाहर किये जाने की प्रक्रिया का सामना करने वाले दलों में सबसे अधिक उत्तर प्रदेश की 121 आरयूपीपी हैं।इसके बाद क्रमश: महाराष्ट्र (44), तमिलनाडु (42) और दिल्ली (41) का स्थान है।

बिहार में 15 ऐसे दलों की पहचान की गई है, जहां इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं।

अधिकारियों ने बताया कि 2001 से अब तक निर्वाचन आयोग ने निष्क्रिय आरयूपीपी को ‘तीन से चार’ बार हटाया है।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने आयोग को राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने से रोक दिया था और कहा था कि ऐसा करना कानून में वर्णित नहीं है।

हालांकि, निर्वाचन आयोग ने ‘‘ दलों को सूची से हटाने’’की प्रक्रिया शुरू की। आयोग के एक पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि सूची से हटाए गए दलों को चुनाव प्राधिकरण बिना किसी नई मान्यता प्रक्रिया के फिर से सूचीबद्ध कर सकता है।

पूर्व में कुछ आरयूपीपी आयकर कानूनों और धन शोधन रोधी कानून का उल्लंघन करते हुए पाए गए थे।

देश में राजनीतिक दल (राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय, आरयूपीपी) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के प्रावधानों के तहत निर्वाचन आयोग में पंजीकृत हैं।

इस प्रावधान के तहत, किसी भी संगठन को एक बार राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत किये जाने के बाद उसे आयकर छूट सहित कुछ विशेषाधिकार और लाभ मिलते हैं।

भाषा धीरज संतोष

संतोष

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