नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) भारी उद्योग मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने ऑटोमोटिव मिशन योजना 2047 बनाने का काम शुरू कर दिया है। यह एक रणनीतिक खाका है जो ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप और भारत को वैश्विक वाहन क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए है।
यह नवोन्मेष और पर्यावरण अनुकूल पहल पर केंद्रित है।
ऑटोमोटिव यानी वाहन मिशन योजना (एएमपी) 2047 के लिए गठित उप-समितियों ने वैश्विक वाहन व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद के लिए क्षेत्रीय विकास, निर्यात और लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार करने को लेकर एक बैठक की है।
सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के विशेषज्ञों वाली सात उप-समितियां 2030, 2037 और 2047 के लक्ष्यों के अनुरूप एक व्यापक योजना तैयार करने में योगदान देंगी।
भारी उद्योग मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हनीफ कुरैशी ने कहा, ‘‘2047 का दृष्टिकोण कोई आकांक्षा नहीं, बल्कि क्षेत्र के विकास, निर्यात और उद्योग की प्रगति के ठोस लक्ष्यों के लिए एक रणनीतिक रूपरेखा है। हमें विशिष्ट तकनीकों या कंपनियों से आगे बढ़कर 2047 में भारत की वैश्विक स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिसका लक्ष्य नवोन्मेष और गुणवत्ता के माध्यम से वैश्विक वाहन व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना है।’’
इस पहल में विभिन्न मंत्रालय, उद्योग संगठन (सियाम, एसीएमए, सीआईआई), शिक्षा जगत और परीक्षण एजेंसियां शामिल हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी के मार्गदर्शन में, भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने ऑटोमोटिव मिशन योजना 2047 तैयार करने की पहल की है। यह 2047 तक विकसित भारत दृष्टिकोण के अनुरूप एक रणनीतिक रूपरेखा है। उप-समितियों की उद्घाटन बैठक उद्देश्यों और रूपरेखा का निर्धारण करने के लिए आयोजित की गई थी।’’
बैठक में विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें बिजली मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, डीपीआईआईटी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और सियाम, एसीएमए, सीआईआई, फिक्की जैसे उद्योग मंडल, शैक्षणिक संस्थान, शोध संस्थान और परीक्षण एजेंसियां शामिल हैं।
ऑटोमोटिव मिशन योजना 2016-2026 (एएमपी 2026) का उद्देश्य भारतीय वाहन उद्योग को वाहनों एवं कलपुर्जों के इंजीनियरिंग, विनिर्माण और निर्यात में दुनिया के शीर्ष तीन उद्योगों में लाना है। इसका मूल्य भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 12 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ाना और 6.5 करोड़ अतिरिक्त रोजगार सृजित करना है।
भाषा रमण अजय
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