नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को दीवानी न्यायाधीश, जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर) परीक्षा 2022 के साक्षात्कार आयोजित करने और परिणाम घोषित करने की अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर की पीठ ने उच्च न्यायालय से प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को कहा, क्योंकि उसे सूचित किया गया कि 77 अभ्यर्थियों ने मुख्य दीवानी न्यायाधीश परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है।
शीर्ष अदालत ने यह आदेश तब पारित किया जब उच्च न्यायालय की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने दलील दी कि दोबारा परीक्षा कराना असंवैधानिक, अव्यावहारिक है और इससे मुकदमेबाजी बढ़ जाएगी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के तीन साल की अनिवार्य वकालत के बिना दीवानी न्यायाधीशों के पद पर भर्ती पर रोक के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया था।
मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा की शर्तें) नियम, 1994 को 23 जून, 2023 को संशोधित किया गया था, ताकि राज्य में दीवानी न्यायाधीश प्रवेश स्तर की परीक्षा देने की पात्रता के लिए तीन साल की वकालत अनिवार्य किया जा सके।
उच्च न्यायालय ने संशोधित नियमों को बरकरार रखा, लेकिन इस मुद्दे पर मुकदमेबाजी का नया दौर तब शुरू हुआ जब अचयनित दो अभ्यर्थियों ने दलील दी कि यदि संशोधित नियम लागू किए जाएं तो वे भी पात्र होंगे। उन्होंने मांग की कि कट-ऑफ की समीक्षा की जाए।
पद पर भर्ती पर रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय ने प्रारंभिक परीक्षा में सफल उन अभ्यर्थियों को भर्ती से बाहर करने का निर्देश दिया जो संशोधित भर्ती नियमों के तहत पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करते थे।
शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसकी खंडपीठ द्वारा 13 जून, 2024 को पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत की पीठ ने उच्च न्यायालय को 14 जनवरी, 2024 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में उन सभी सफल उम्मीदवारों को बाहर करने या छांटने का निर्देश दिया गया था, जो संशोधित नियमों के तहत पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करते थे।
अपनी अपील में उच्च न्यायालय ने कहा कि पीठ यह समझने में विफल रही कि एक सुविचारित निर्णय की समीक्षा करने की शक्ति बहुत सीमित है और यह केवल तभी उपलब्ध होती है जब रिकॉर्ड में कोई गलती या त्रुटि स्पष्ट हो।
भाषा धीरज माधव
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