चेन्नई, 19 जुलाई (भाषा) तमिलनाडु के दिवंगत मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के बड़े बेटे और राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बड़े भाई एम के मुथु (77) का शनिवार को उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। उनके परिवार के लोगों ने यह जानकारी दी।
एम के मुथु एक अभिनेता व पार्श्व गायक थे और उन्होंने तमिल फिल्म उद्योग में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
स्टालिन और उनके उपमुख्यमंत्री पुत्र उदयनिधि मुथु को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके आवास पर पहुंचे। वहीं, मदुरै में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंची सांसद बहन कनिमोई यह दुखद समाचार मिलने के बाद चेन्नई के लिए रवाना हो गईं।
राज्य सरकार ने वृद्धावस्था के कारण मुथु के निधन की जानकारी देते हुए कहा कि उनका पार्थिव शरीर दिवंगत करुणानिधि के गोपालपुरम स्थित आवास पर रखा जाएगा ताकि लोग श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।
राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि उनका अंतिम संस्कार आज शाम किया जाएगा।
स्टालिन ने मुथु के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा, ”आज सुबह मेरे प्रिय भाई और ‘कलैगनार’ (करुणानिधि) परिवार के ज्येष्ठ पुत्र एम. के. मुथु के निधन की खबर (आकाशीय) बिजली की तरह मेरे ऊपर गिरी। मेरे प्रिय भाई, जिन्होंने मुझे माता-पिता जैसा स्नेह दिया, को खोने का गम मुझे अंदर तक व्यथित कर रहा है।”
करुणानिधि ने अपने पिता मुथुवेल की स्मृति में उनका नाम मुथु रखा था।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कलैगनार की तरह, भाई मुथु ने भी युवावस्था से ही नाटकों के माध्यम से द्रविड़ आंदोलन में योगदान दिया। अभिनय, संवाद अदायगी और शारीरिक हावभाव में उनकी अपनी अनोखी शैली थी। इसी ऊर्जा और उत्साह के कारण, उन्होंने 1970 में फिल्म उद्योग में कदम रखा। उन्होंने अपनी पहली फिल्म में दोहरी भूमिका निभाई।’’
उन्होंने कहा कि मुथु को तमिल प्रशंसकों के दिलों में उनकी फिल्मों-पिल्लैयो पिल्लई, पूकारी, समयालकरन और अन्याविलक्कु के माध्यम से हमेशा याद किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘उनमें एक खास गुण था जो कई अभिनेताओं में नहीं होता। उनमें अपनी आवाज में मधुरता से गाने की क्षमता थी। ‘नल्ला मनाथिल कुदियिरिकुम नागूर अंदावा’ और ‘सोन्थाकारंगा एनक्कु रोम्बा पेरुंगा’ ऐसे गीत हैं जिन्हें बहुत से लोग आज भी नहीं भूले हैं।’’
स्टालिन ने कहा कि वह हमेशा उनके प्रति स्नेही रहे और प्रोत्साहित करते रहे। उन्होंने कहा कि उनके भाई भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वह कला, गीतों और संगीत के माध्यम से हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।
भाषा संतोष पवनेश
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