नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स (एफएआईएमएस), दिल्ली और फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ पीजीआईएमईआर (एफए-पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ अपने यहां संकाय सदस्यों को बारी-बारी से नेतृत्व का अवसर प्रदान करने से संबंधित नीति के तत्काल कार्यान्वयन की मांग करते हुए एक अगस्त को शाम पांच बजे जवाहरलाल नेहरू (जेएलएन) सभागार से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च निकालेंगे। शनिवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है।
उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा कि ‘रोटेटरी हेडशिप नीति’ एक महत्वपूर्ण शासकीय सुधार है, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जुलाई 2023 में अनिवार्य किया था।
यह निर्णय तीन महीने से अधिक समय तक हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के बाद लिया गया है।
बयान में कहा गया है कि निरंतर लोकतांत्रिक प्रयासों के बावजूद संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, जिसके कारण हमें यह अगला कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
‘रोटेटरी हेडशिप प्रणाली’ हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड, आईआईटी, आईआईएम, निम्हांस, जेआईपीएमईआर और अन्य संस्थानों में व्यापक रूप से प्रचलित है। इसके तहत सभी पात्र संकाय सदस्यों को निष्पक्षता व पारदर्शिता के आधार पर नेतृत्व का अवसर मिलता है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल की अध्यक्षता वाली एक बाह्य समिति ने दिल्ली के एम्स और चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में इसके कार्यान्वयन की सिफारिश की थी।
इससे पहले 18 जुलाई, 2023 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक औपचारिक आदेश जारी कर जून-जुलाई 2024 तक इसके कार्यान्वयन को अनिवार्य कर दिया था।
बयान में कहा गया है, ‘इन स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, दो शैक्षणिक सत्र बिना किसी कार्रवाई के बीत गए हैं, जिससे संकाय का मनोबल, शासन और हमारे प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों की विश्वसनीयता कम हुई है।’
भाषा जोहेब दिलीप
दिलीप