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Saturday, July 19, 2025

युवाओं का नशे के साथ-साथ मोबाइल और रील की लत से दूर रहना आवश्यक : मनसुख मांडविया

Newsयुवाओं का नशे के साथ-साथ मोबाइल और रील की लत से दूर रहना आवश्यक : मनसुख मांडविया

वाराणसी, 19 जुलाई (भाषा) केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हमें अपने युवाओं को नशीले पदार्थों, मोबाइल फोन और रीलों से दूर रखना होगा।

वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में ‘युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन’ की शुरुआत करने के बाद डॉ. मांडविया ने ‘विकसित भारत के लिए नशामुक्त युवा’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि ”भारत तभी विकसित हो सकता है जब युवा नशे के साथ-साथ मोबाइल और रील की लत से भी दूर रहें।”

एक आधिकारिक बयान के अनुसार इस शिखर सम्मेलन में देश भर के 122 आध्यात्मिक और सामाजिक सांस्कृतिक संगठनों के 600 से अधिक प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं।

मांडविया ने अपने संबोधन में कहा कि 15 अगस्त 2022 को लाल किले से भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमृत काल के ‘पंच प्राण’ के माध्यम से अगले 25 वर्षों के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, क्योंकि देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है।

डॉ. मांडविया ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को नशा मुक्त बनाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को न केवल लाभार्थी के रूप में देखा जाना चाहिए, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को आकार देने वाले परिवर्तनकर्ता के रूप में भी देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ”मादक पदार्थों का सेवन आज युवाओं के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है। नशा उन्हें जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर अपनी चपेट में ले रहा है और यह राष्ट्रीय प्रगति के लिए एक गंभीर चुनौती है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि ”2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए, हमें अपने युवाओं को नशीले पदार्थों, मोबाइल फोन और रीलों से दूर रखना होगा।”

उन्होंने धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े नेताओं से युवाओं में नशे की लत से दूर रहने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अपने मंचों का उपयोग करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि एक शिविर या सीमित प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, हमें एक जन आंदोलन की आवश्यकता है, जहां प्रत्येक नागरिक कम से कम पांच अन्य लोगों को नशा विरोधी अभियान में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का संकल्प ले।

डॉ. मांडविया ने संभावना व्यक्त की कि दो दिवसीय शिखर सम्मेलन मूल्यवान चर्चाओं और सार्थक परिणामों की ओर ले जाएगा।

यह शिखर सम्मेलन 20 जुलाई को ‘काशी घोषणा’ के विमोचन के साथ समाप्त होगा, जो युवाओं और आध्यात्मिक नेताओं के सामूहिक दृष्टिकोण तथा प्रतिबद्धता को दर्शाने वाला एक दस्तावेज है।

भाषा

सं, आनन्द, रवि कांत रवि कांत

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