नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने शनिवार को कहा कि वन केवल हमारे ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भी हैं। उन्होंने विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
वह दिल्ली सरकार द्वारा वन महोत्सव 2025 के अंतर्गत दिल्ली रिज स्थित पीबीजी मैदान में आयोजित एक विशाल वृक्षारोपण अभियान में बोल रहे थे।
प्रधान न्यायाधीश ने दिल्ली की प्रदूषण से सलाना लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘अक्टूबर आते ही सभी चिंतित होने लगते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विकास महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें इसके लिए चुकाई गई कीमत को भी समझना होगा। मानवता की परंपरा का हिस्सा रहे वन केवल हमारे ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भी हैं। वे दिल्ली के प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’’
गवई उच्चतम न्यायालय के 20 न्यायाधीशों और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ इस अभियान में शामिल हुए।
यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रव्यापी ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का भी हिस्सा था।
प्रधान न्यायाधीश ने सतत विकास पर उच्चतम न्यायालय के निरंतर जोर और प्रदूषण नियंत्रण पर उसके ऐतिहासिक परामर्शों पर प्रकाश डाला और सभी हितधारकों से राजधानी के पर्यावरणीय संकट से निपटने में अपनी साझा जिम्मेदारी को पहचानने का आग्रह किया।
सिरसा ने प्रधान न्यायाधीश गवई और अन्य न्यायाधीशों को उनकी भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी उपस्थिति ने सामूहिक रूप से किए गए कार्य के महत्व का एक सशक्त संदेश दिया।
पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘जैसा कि प्रधान न्यायाधीश ने सही कहा है, दिल्ली के पर्यावरण की रक्षा के लिए सामूहिक जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है।’’
भाषा संतोष रंजन
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