नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) मानसून सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक से नियामक शब्द हटा दिया गया है, लेकिन यह एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) को संस्थागत रूप देने के लिए तैयार है जिसकी नियुक्ति पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी और इसके पास चुनावी अनियमितताओं से लेकर वित्तीय गड़बड़ी तक के उल्लंघनों के लिए शिकायतों या ‘खुद के प्रस्ताव’ के आधार पर संघों की मान्यता निलंबित करने की व्यापक अधिकार होंगे।
सोमवार से मानसून सत्र शुरू हो रहा है और इसी दौरान संसद में पेश किए जाने वाले इस विधेयक में प्रशासकों की आयु सीमा के पेचीदा मुद्दे पर कुछ रियायतें दी गई हैं जिसमें 70 से 75 वर्ष की आयु के लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है बशर्ते संबंधित अंतरराष्ट्रीय संस्थायें आपत्ति नहीं करें।
लेकिन प्रस्तावित एनएसबी जवाबदेही की एक कठोर प्रणाली बनाने का वादा करता है जो गुटबाजी और अंदरूनी कलह से पस्त भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की प्रतिष्ठा को काफी कम कर देगा।
एनएसबी में एक अध्यक्ष होगा और इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
बोर्ड के सदस्यों से यह भी अपेक्षा की जाएगी कि सदस्यों के पास ‘लोक प्रशासन, खेल प्रशासन, खेल कानून और अन्य संबंधित क्षेत्रों का विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव’ हो।
मसौदा विधेयक हितधारकों और जनता से व्यापक परामर्श के बाद तैयार किया गया है जिसके अनुसार नियुक्तियां ‘सर्च कम सलेक्शन’ समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएंगी।
चयन समिति में अध्यक्ष के तौर पर कैबिनेट सचिव या खेल सचिव, भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक, दो खेल प्रशासक (जो किसी राष्ट्रीय खेल संस्था के अध्यक्ष, महासचिव या कोषाध्यक्ष के रूप में काम कर चुके हों) और एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी शामिल होगा जो द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार विजेता हो।
जैसा कि पिछले साल जारी किए गए मसौदे में उल्लेख किया गया था, बोर्ड के पास राष्ट्रीय खेल महासंघों को मान्यता देने और किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ के निलंबित होने की स्थिति में व्यक्तिगत खेलों के संचालन के लिए तदर्थ पैनल गठित करने का अधिकार होगा।
इसे भारत में खिलाड़ियों के कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने और अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय खेल महासंघों को दिशानिर्देश जारी करने का भी अधिकार होगा।
ये सभी काम अब तक आईओए के अधिकार क्षेत्र में थे जो एनएसएफ से संबंधित मामलों के लिए नोडल निकाय के रूप में कार्य करता था।
बोर्ड को किसी भी राष्ट्रीय संस्था की मान्यता रद्द करने का अधिकार दिया गया है जो अपनी कार्यकारी समिति के चुनाव कराने में विफल रहती है या जिसने ‘चुनाव प्रक्रियाओं में घोर अनियमितताएं’ की हैं।
इसके अलावा साल भर के लेखा परीक्षित खातों को प्रकाशित नहीं करने या ‘सार्वजनिक धन का दुरुपयोग, दुरुपयोग या गड़बड़ी’ करने पर भी एनएसबी के पास निलंबन करने का अधिकार होगा लेकिन इससे पहले उसके लिए संबंधित वैश्विक संस्था से परामर्श करना आवश्यक होगा।
आईओए ने परामर्श के चरण में बोर्ड का कड़ा विरोध किया था और इसे सरकारी हस्तक्षेप बताया था जिससे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा प्रतिबंध लग सकते हैं।
हालांकि खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि दस्तावेज़ का मसौदा तैयार करते समय आईओसी से उचित परामर्श किया गया है। वहीं 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत की बोली के लिए आईओसी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध महत्वपूर्ण होंगे।
भाषा नमिता आनन्द
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