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Sunday, July 20, 2025

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भाजपा-जद (एस) को कर्नाटक में विकास पर बहस की चुनौती दी

Newsमुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भाजपा-जद (एस) को कर्नाटक में विकास पर बहस की चुनौती दी

मैसूरु, 19 जुलाई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को कहा कि विपक्षी दल लोगों का प्यार और सद्भावना खो चुके हैं। साथ ही उन्होंने भाजपा और जनता दल (सेक्युलर) को एक मंच पर आकर बहस करने की चुनौती दी कि राज्य के विकास में किसने कितना योगदान दिया है।

वह कर्नाटक सरकार की ओर से आयोजित एक विशाल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जहां मैसूरु के लिए 2,500 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया।

सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘भाजपा और जद (एस) झूठे आरोप लगाते हैं। मैंने कई बार कहा है कि सच्चाई जानने और लोगों को गुमराह करना बंद करने के लिए आप सभी को एक मंच पर आना चाहिए। अगर भाजपा और जद(एस) नेता (विकास के मुद्दे पर बहस करने के लिए) एक मंच पर आते हैं, तो मैं आने के लिए तैयार हूं। आइए बहस करें कि हमने क्या किया है और आपने क्या किया है।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा का दावा है कि राज्य का खजाना खाली है और सरकार दिवालिया हो गई है तथा विकास के लिए पैसा नहीं है क्योंकि यह गारंटी योजनाओं पर खर्च हो गया है।

उन्होंने पूछा, ‘‘अगर सरकार दिवालिया होती, तो क्या आज 2,578 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास संभव होता?’’

मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर झूठ बोलने और लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘भाजपा और जद(एस) कह रहे हैं कि यह कार्यक्रम सिद्धरमैया का शक्ति प्रदर्शन है। यह शक्ति प्रदर्शन नहीं है। यह विकास की ताकत दिखाने के लिए है।’’

भाजपा ने शुक्रवार को इस आयोजन को सिद्धरमैया का ‘‘शक्ति प्रदर्शन’’ करार दिया, जिसका उद्देश्य उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के किसी भी कदम के खिलाफ अपने ‘अहिंदा’ वोट बैंक का इस्तेमाल करके कांग्रेस आलाकमान को ‘‘ब्लैकमेल’’ करना है।

‘अहिंदा’ कन्नड़ में अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए एक संक्षिप्त शब्द है।

दोनों विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए, मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा हमेशा ‘‘पिछले दरवाजे’’ और ‘‘ऑपरेशन कमल’’ के जरिए राज्य में सत्ता में आई है, न कि लोगों के आशीर्वाद से, जबकि जद(एस) की ताकत चुनाव दर चुनाव कम होती जा रही है, और वह कर्नाटक में अपने बल पर कभी सत्ता में नहीं आ सकती।

भाषा शफीक रंजन

रंजन

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