पटना, 19 जुलाई (भाषा) केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि 2047 तक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा का नेतृत्व सशक्त महिलाएं और युवा करेंगे, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महिला-नीत विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री सिंह ने यह टिप्पणी ‘विकसित बिहार: महिलाओं की भागीदारी के माध्यम से विकसित बिहार की परिकल्पना’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए की।
उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 76,000 स्टार्टअप वर्तमान में महिलाओं के नेतृत्व में हैं, जिनमें से कई टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्थित हैं।
सम्मेलन का आयोजन बिहार के ग्रामीण विकास विभाग और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। सिंह इसके सह-अध्यक्ष हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 11 वर्षों में, मोदी सरकार ने अपनी शासन संरचना को चार स्तंभों- गरीब, किसान, युवा और महिला- पर केंद्रित किया है। महिला-केंद्रित शासन ने न केवल लोगों को सशक्त बनाया है, बल्कि समाज को नया रूप दिया है। जो लक्षित कल्याण के रूप में शुरू हुआ था, वह अब संस्थागत नेतृत्व में विकसित हो गया है।’’
मंत्री ने महिलाओं के लिए सुलभ शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से जीविका ई-लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम ऐप की शुरुआत की और ‘सशक्त महिला, समृद्ध बिहार’ नामक प्रकाशन का अनावरण किया। केंद्रीय मंत्री सिंह ने महिला सशक्तीकरण के लिए मोदी सरकार के व्यापक दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की, जो चार प्रमुख स्तंभों पर आधारित है।
उन्होंने कहा, ‘‘पहले चरण- संस्थानों में पहुंच और समावेश- ने भारत के शैक्षिक और सैन्य परिदृश्य में एक ऐतिहासिक बदलाव को चिह्नित किया। लड़कियों को पहली बार सैनिक स्कूल और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में प्रवेश दिया गया, जिससे सदियों पुरानी बाधाएं टूट गईं। सशस्त्र बलों में लड़ाकू भूमिकाएं महिलाओं के लिए खोल दी गईं और अब देश अपनी पहली महिला सेना प्रमुख की उम्मीद कर रहा है, जो लैंगिक-समावेशी नेतृत्व में एक अभूतपूर्व मील का पत्थर है।’’
मंत्री के अनुसार, दूसरे चरण- वैज्ञानिक और तकनीकी सशक्तिकरण- ने डब्ल्यूआईएसई (विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाएं), जीएटीआई (जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूट) और महिला वैज्ञानिक कार्यक्रम जैसी लक्षित योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाया है।
सिंह ने कहा कि तीसरे चरण- आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण- के तहत वित्तीय संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच में व्यापक वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं के लिए 48 करोड़ से ज़्यादा जन धन खाते खोले गए हैं, जबकि मुद्रा योजना के 60 प्रतिशत से ज़्यादा लाभार्थी महिला उद्यमी हैं। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से तीन करोड़ से ज़्यादा ‘लखपति दीदियों’ का निर्माण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव ला रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत, महिलाओं के नाम पर पंजीकृत घर न केवल आश्रय प्रदान कर रहे हैं, बल्कि वित्तीय और सामाजिक सम्मान भी प्रदान कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि चौथे चरण- कार्यस्थल पर सुधार और कानूनी संवेदनशीलता- के तहत सहानुभूतिपूर्ण और समावेशी शासन उपाय शुरू किए गए हैं।
सिंह ने महिला सशक्तीकरण को आगे बढ़ाने में अग्रणी सुधारों के लिए बिहार की सराहना की और पंचायतों व शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण तथा राज्य पुलिस व सिविल सेवाओं में 35 प्रतिशत आरक्षण जैसी पहलों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि राज्य में 30 लाख से ज़्यादा महिलाओं को लक्षित योजनाओं के जरिये आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है, जिनकी कुल सहायता 5,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा है।
उन्होंने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) से आग्रह किया कि वह बिहार के सफल महिला-केंद्रित शासन मॉडल का दस्तावेजीकरण करे ताकि देश के अन्य राज्य भी इससे प्रेरणा लेकर इसी प्रकार के परिवर्तनकारी सुधार लागू कर सकें।
भाषा अमित सुरेश
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