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Sunday, July 20, 2025

गुरुग्राम में छत से गिरी पत्नी, पति को बचा नहीं पाने का मलाल

Newsगुरुग्राम में छत से गिरी पत्नी, पति को बचा नहीं पाने का मलाल

गुरुग्राम, 19 जुलाई (भाषा) गुरुग्राम में इमारत की चौथी मंजिल की मुंडेर पर बाहर की ओर पैर लटका कर बैठी युवती की गिरकर हुई मौत से शोकाकुल पति को मलाल है कि वह हाथ थामने के बावजूद ऊपर नहीं खींच पाया जबकि हादसे से ठीक पहले युवती ने पूछा था कि अगर वह फिसल गई तो क्या वह पकड़ लेगा।

पति ने कहा, ‘‘यह मेरा दुर्भाग्य था। अन्यथा, हम एक सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे थे।’’

ओडिशा के गंजाम जिले के मूल निवासी एवं कॉल सेंटर में काम करने वाली बोरिंगी पार्वती और डी दुर्योधन राव की शादी दो साल पहले हुई थी। गत मंगलवार दोनों डीएलएफ फेज-3 स्थित अपने घर में एक शांत शाम बिता रहे थे, तभी पार्वती छत की मुंडेर पर चढ़ गईं और बाहर की ओर पैर लटका कर उसपर बैठ गई।

पुलिस के मुताबिक, उसने अपने पति से मज़ाक में पूछा कि अगर वह गिर जाए, तो क्या वह उसे बचा सकता है। एक मिनट बाद, वह एक तरफ झुक गई और उसका पति उसे वापस खींचने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन वह फिसकर नीचे गिर गई और उसकी मौत हो गई।

राव ने ‘पीटीआई-भाषा’को बताया, ‘‘मैंने उससे नीचे आने का अनुरोध किया। ऐसा करते समय वह फिसलकर गिर गई। मैंने लगभग दो मिनट तक उसका हाथ पकड़े रखा और मदद के लिए चिल्लाया, लेकिन आस-पास कोई नहीं था, और वह मेरे हाथों से फिसल गई।’’

उन्होंने बताया, ‘‘वह इमारत के पीछे एक नरम, गीली जमीन पर गिरी और उसे गंभीर अंदरूनी चोटें आईं। मैं उसे अस्पताल ले गया, लेकिन आधे घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई। उसकी मौत ने मुझे बुरी तरह तोड़ दिया।’’

पुलिस ने महिला की मौत में किसी भी संदिग्ध गतिविधि की आशंका से इनकार किया है।

डीएलएफ फेज 3 पुलिस थाना के प्रभारी निरीक्षक योगेश कुमार ने बताया, ‘‘पत्नी को ऊपर खींचने की कोशिश में पति के हाथों और छाती पर चोट आई थी जो मुंडेर से रखड़ खाने की वजह से लगी है। पार्वती के परिवार ने भी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। हमने पोस्टमार्टम के बाद शव उसके परिजनों को सौंप दिया।’’

पार्वती की मौत के चार दिन बाद, दो कमरों वाले अपने फ्लैट में उदास राव इस हादसे से गमगीन हैं और इसे ईश्वर की नियती करार दिया है।

यहां एक निजी फर्म में सोशल मीडिया कंटेंट मॉडरेटर के रूप में काम करने वाले राव ने कहा, ‘‘यह मेरी बदकिस्मती थी। अन्यथा, हम एक खुशहाल वैवाहिक जीवन जी रहे थे। हम दोनों काम करते थे और परिवार बढ़ाने की योजना बना रहे थे। लेकिन हमारे सारे सपने एक ही झटके में चकनाचूर हो गए। शायद ईश्वर की यही मर्जी थी।’’

भाषा धीरज रंजन

रंजन

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