नयी दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त किये जाने की छठी सालगिरह से पहले कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में तुष्टीकरण के जरिए शांति नहीं लाई जा सकती।
सिंह ने ‘पीटीआई वीडियो’ को दिये एक विशेष साक्षात्कार में दावा किया कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से इस क्षेत्र के लोगों का देश के बाकी हिस्सों के साथ अधिक एकीकरण हुआ है।
उधमपुर से लगातार तीसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री सिंह ने कहा, ‘‘जिस बात पर अक्सर चर्चा नहीं होती, वह यह है कि मानसिक एकता बहुत बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, जम्मू-कश्मीर का एक नागरिक खुद को अलग नजरिए से देखता था, क्योंकि उसे उसी के लिए तैयार किया गया था। अब वहां एक अपनेपन का एहसास है।’’
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में जो कानून लागू नहीं हो पा रहे थे, उन्हें पिछले छह वर्षों में लागू किया गया है।
सिंह ने कहा कि पिछली सरकारें पाकिस्तान के साथ बातचीत में शामिल रहती थीं और उन्हें मनाने की कोशिश करती थीं तथा अलगाववादियों से भी संपर्क साधती थीं, लेकिन अंतत: कोई नतीजा नहीं निकलता था।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इसमें बहुत बड़ा बदलाव किया है। नतीजा यह है कि पहले के अलगाववादी भी अब उनके रास्ते पर आ गए हैं। अब हम ऐसी स्थिति में हैं जहां शांति तुष्टीकरण से नहीं आती। यह अब दूसरों की शर्तों पर मिलने वाली शांति नहीं है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘यह भारत सरकार या भारत के लोगों से हुई शांति है।’’
सिंह ने पूर्व में लागू अनुच्छेद-370 का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर की बेटियों के साथ भेदभाव किया जाता है क्योंकि अगर वे राज्य से बाहर शादी करती थीं तो उन्हें अपने माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘अब ऐसी स्थिति नहीं है।’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से यह सुनिश्चित हो गया है कि देश के बाकी हिस्सों में लागू कानून जम्मू-कश्मीर में भी प्रभावी होंगे।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को भी नागरिकता से वंचित रखा गया, जबकि इसी वर्ग की आबादी ने भारत को दो प्रधानमंत्री और एक उप प्रधानमंत्री – क्रमशः इंदर कुमार गुजराल और मनमोहन सिंह तथा एल के आडवाणी दिए।
सिंह ने कहा,‘‘यह न केवल संविधान और लोकतंत्र के संदर्भ में, बल्कि मानवीय गरिमा के मानदंडों के संदर्भ में भी बहुत बड़ी चूक थी। इसलिए, अब सब कुछ ठीक हो गया है।’’
मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के आम नागरिकों में भी देश के बाकी हिस्सों के साथ जुड़ाव की भावना है। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि आप देख रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर के अधिकांश युवा देश भर में विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।’’
सिंह ने कहा कि आतंकवाद ने जम्मू-कश्मीर में विकास को बाधित कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘कई परियोजनाएं, खासकर कश्मीर घाटी में, वहां की परिस्थितियों के कारण रुक गईं। पहली बार, जम्मू-कश्मीर में रेल 1972 में पहुंची थी। लेकिन उसके बाद हमें पांच दशकों से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ा। फिर प्रधानमंत्री मोदी आए और उन्होंने कश्मीर घाटी तक रेल पहुंचाने का दृढ़ संकल्प लिया।’’
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने पांच अगस्त 2019 को पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया। सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख)में पुनर्गठित किया।
भाषा धीरज रंजन
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