कोच्चि, 20 जुलाई (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उपयोग नीति जारी की है, जिसके तहत जिला न्यायपालिका निर्णय लेने या कानूनी तर्क के लिए ऐसे उपकरणों का उपयोग नहीं कर पाएगी।
उच्च न्यायालय ने ऐसे सॉफ्टवेयर उपकरणों की बढ़ती उपलब्धता और पहुंच को देखते हुए राज्य की जिला न्यायपालिका के न्यायिक कार्यों में एआई के जिम्मेदारीपूर्वक और सीमित उपयोग के लिए ‘जिला न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरणों के उपयोग संबंधी नीति’ जारी की है।
अदालत के सूत्रों के अनुसार, यह अपनी तरह की पहली नीति है।
अदालत ने जिला न्यायपालिका को ‘‘अत्यधिक सावधानी बरतने’’ की सलाह दी है क्योंकि ‘‘एआई उपकरणों के अंधाधुंध उपयोग से नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जिनमें निजता के अधिकारों का हनन, डेटा सुरक्षा जोखिम और न्यायिक निर्णय लेने में त्रुटि शामिल है।’’
नीति दस्तावेज में कहा गया है, ‘उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एआई उपकरणों का उपयोग केवल जिम्मेदार तरीके से, पूरी तरह से सहायक उपकरण के रूप में और विशेष मामलों में ही किया जाए। नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी परिस्थिति में एआई उपकरणों का उपयोग निर्णय लेने या कानूनी तर्क-वितर्क के विकल्प के रूप में न किया जाए।’’
भाषा जोहेब सुभाष
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