(फोटो के साथ)
जालंधर, 20 जुलाई (भाषा) दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह का रविवार को उनके पैतृक गांव ब्यास में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। वह ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ के नाम से जाने जाते थे।
पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, मुख्यमंत्री भगवंत मान और मंत्री मोहिंदर भगत अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
फौजा को उनके बेटे हरविंदर सिंह ने मुखाग्नि दी। मुखाग्नि दिए जाने से पहले पंजाब पुलिस ने बंदूकों से सलामी दी।
चौदह जुलाई को ब्यास में जालंधर-पठानकोट राजमार्ग पार करते समय एक कार की चपेट में आने से 114 वर्षीय सिंह की मृत्यु हो गई थी। कार कनाडा निवासी अमृतपाल सिंह ढिल्लों चला रहा था।
राज्यपाल कटारिया ने याद किया कि पिछले साल नशा मुक्ति यात्रा के दौरान फौजा सिंह उनके साथ चले थे।
कटारिया ने बताया कि एक किलोमीटर चलने के बाद, उन्होंने फौजा सिंह को रुकने के लिए कहा, लेकिन उन्हें हैरानी हुई कि फौजा सिंह ने जिद की कि वे पैदल चलें।
कटारिया ने उनके आवास पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि फौजा सिंह सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत थे।
मान ने कहा कि फौजा सिंह ने कई मैराथन दौड़ में भाग लिया और अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया।
मान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यहां कई गणमान्य व्यक्तियों और अन्य हस्तियों की उपस्थिति से उनकी लोकप्रियता पता चलती है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गांव के स्कूल का नाम बदलकर फौजा सिंह के नाम पर रखेगी तथा गांव के स्टेडियम व जालंधर के खेल कॉलेज में उनके सम्मान में प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।
मान ने कहा कि फौजा सिंह की कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता युवा पीढ़ी को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
उन्होंने कहा कि खेल जगत बुजुर्ग होने बावजूद एथलेटिक्स को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने में उनके अपार योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।
उन्होंने कहा कि फौजा सिंह के निधन से पूरी दुनिया स्तब्ध है।
सुबह से ही ब्यास स्थित फौजा सिंह के घर पर शोक व्यक्त करने वालों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई।
सिंह के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए कांच के ताबूत में रखा गया था। बाद में, उनके पार्थिव शरीर को एक सुसज्जित वाहन में श्मशान घाट ले जाया गया।
अंतिम यात्रा उनके आवास से शुरू हुई जिसमें राजनीतिक नेताओं समेत कई लोग शामिल हुए।
अंतिम संस्कार में कांग्रेस विधायक परगट सिंह, राणा गुरजीत सिंह, हरदेव सिंह लाडी, सुखविंदर सिंह कोटली, आप के विधायक बलकार सिंह, आप नेता पवन कुमार टीनू और शिरोमणि अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा समेत कई राजनीतिक नेता शामिल हुए।
इससे पहले सिंह के एक रिश्तेदार ने पत्रकारों को बताया कि जब उन्हें सड़क दुर्घटना में सिंह की मौत की खबर मिली तो वह स्तब्ध रह गए।
वहीं, एक अन्य रिश्तेदार परमजीत सिंह ने कहा कि उन्होंने लगभग 20-25 दिन पहले फौजा सिंह से बात की थी।
परिवार के एक अन्य सदस्य ने बताया कि सिंह सैर करने को लेकर काफ़ी सजग थे।
उन्होंने कहा कि जब वे कनाडा में अपने परिवार के सदस्यों से मिलने जाते थे और बाहर बर्फ पड़ रही होती थी, तो घर के अंदर ही सैर करते थे।
रिश्तेदार ने बताया कि उन्हें पता होता था कि पैदल चलते हुए उन्होंने एक मील का सफर कितने कदमों में तय किया है।
परिवार के सदस्य ने यह भी कहा कि ढिल्लों को रुककर फौजा सिंह को अस्पताल ले जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह (फौजा सिंह) बच जाते, तो कहते कि उसे (ढिल्लों को) कुछ मत कहना। वह ऐसे ही इंसान थे।’’
पुलिस के अनुसार, ढिल्लों तीन हफ्ते पहले पंजाब में स्थित अपने घर लौटा था। मंगलवार रात उसे गिरफ्तार कर अगले दिन न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
ग्रामीणों के अनुसार, टक्कर लगने के बाद फौजा सिंह पांच से सात फुट ऊपर उछल गए।
सीसीटीवी फुटेज और दुर्घटनास्थल से बरामद हेडलाइट और अन्य पुर्जों के टुकड़ों के आधार पर पंजाब में पंजीकृत टोयोटा फॉर्च्यूनर की पहचान की गई।
विभिन्न दलों के नेताओं ने मैराथन धावक के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनका व्यक्तित्व अद्वितीय था और उन्होंने साधारण तरीके से भारत के युवाओं को फिटनेस के प्रति प्रेरित किया।
फौजा सिंह का मैराथन धावक के रूप में कैरियर 89 वर्ष की आयु में शुरू हुआ। वह एक वैश्विक प्रतीक बन गए। अपनी सहनशक्ति व एथलेटिक क्षमता के कारण उन्हें ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ उपनाम मिला।
फौजा सिंह 100 साल की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले पहले व्यक्ति बने थे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए कई रिकॉर्ड बनाए।
उन्होंने लंदन, न्यूयॉर्क और हांगकांग में मैराथन में भाग लिया।
सिंह ने 2011 में 100 साल की उम्र में एक दौड़ में हिस्सा लिया था।
भाषा जोहेब रंजन
रंजन