उपराष्ट्रपति ने की योगी आदित्यनाथ की अहिल्याबाई होल्कर से तुलना

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आगरा (उप्र), एक जून (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना राजमाता अहिल्याबाई होल्कर से करते हुए रविवार को कहा कि अहिल्याबाई की सोच ‘‘विधि की रचना’’ की तरह आदित्यनाथ में आ गई है और आने वाली पीढ़ियां मुख्यमंत्री के कार्यों को उसी तरह याद करेंगी जैसे हम आज लोकमाता अहिल्याबाई के कामों की करते हैं।

धनखड़ ने अहिल्याबाई होल्कर के 300वें जयंती वर्ष के स्मृति अभियान के तहत यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती महज एक तारीख या ऐतिहासिक घटना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हम सबके लिए जीवन दर्शन है। उस कठिन समय में वह महान भारत की परंपरा की प्रतिनिधि थीं जहां धर्म, संस्कृति और शासन एक ही धारा में प्रवाहित होते थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लोकमाता अहिल्याबाई ने मंदिर बनवाए। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम और न जाने कितने मंदिर उनके हाथ से संजीवित हुए। ऐसे मौके पर मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के संदर्भ में भी कहना चाहूंगा जो लोक माता अहिल्याबाई होल्कर ने किया, उत्तर प्रदेश के आज के मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की काया पलट दी। काशी विश्वनाथ, अयोध्या और सभी जगह काम हुआ। आने वाली पीढ़ियां मुख्यमंत्री के इस काम को उसी तरीके से स्मरण करेंगी, जिस तरीके से हम आज लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को याद करते हैं।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं यह मानकर चलता हूं कि अहिल्याबाई की सोच विधि की रचना की तरह योगी आदित्यनाथ में आ गई है। योगी आदित्यनाथ ने जो कार्य करके दिखा दिया है, मेरी बात को याद रखिए यह आसान नहीं था, चुनौतीपूर्ण था और हर चुनौती पर खरे उतारते हुए, कसौटी को पार करते हुए उन्होंने ऐसा काम किया है जो आने वाली पीढ़ियां सदियों तक याद रखेंगी।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘हमारी संस्कृति का सृजन और संरक्षण हमारे लिए बहुत अहम है। जब औरंगजेब की क्रूरता ने, आक्रांताओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर प्रतिघात किया, कुठाराघात किया, उसके 100 वर्ष बाद अहिल्याबाई होल्कर ने दूरदर्शिता दिखाते हुए काशी विश्वनाथ में मंदिर बनवाया। उस काशी विश्वनाथ में जो चमत्कारी परिवर्तन आया है उससे पूरा देश अभिभूत है। उसके घाटों का जब हम अवलोकन करते हैं तो क्या दृश्य उत्पन्न होता है। यह नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आपके प्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने किया है। यह आसान नहीं था, पर करके दिखा दिया।’’

धनखड़ ने कहा कि आज का उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक विरासत के सृजन और संरक्षण का अद्भुत उदाहरण बन गया है और कल्पना से परे चमत्कारिक काम यहां हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसकी शुरुआत 2014 में हुई थी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी को अपना राजनीतिक क्षेत्र चुना। मगर इसमें तीव्र गति आई 2017 में, जब योगी आदित्यनाथ प्रांत के मुख्यमंत्री बने।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत की सेना द्वारा दुश्मन के ठिकानों पर जो प्रतिघात किया गया वह उत्तर प्रदेश में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल के जरिए किया गया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की भूमि पर हो रहा सैन्य उत्पादन कितना श्रेष्ठ है, यह दुश्मन के कानों में गूंजता रहेगा।

मुख्यमंत्री से मुखातिब होते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आपने अपने शासनकाल में उत्तर प्रदेश की छवि को पूर्ण रूप से बदल दिया है। आज उत्तर प्रदेश का मतलब है सुशासन और कानून का राज। बिना कानून के राज्य का कोई भी विकास संभव नहीं है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर की उल्लेखनीय सफलता के लिए मैं भारतीय सेना का अभिनंदन करना चाहता हूं। हमारी सेना ने पराक्रम दिखाया। हमारी सेना ने दुश्मन को लोहे के चने चबवाए और दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया कि अब भारत बदल गया है। वह आतंकवाद को खत्म करेगा और जो हम पर हाथ डालेगा उसे हम पूरी तरह नष्ट करेंगे।’’

धनखड़ ने कहा, ‘‘हमें सदैव याद रखना पड़ेगा और यही सीख लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने भी दी कि हम भारतीय हैं। भारतीयता हमारी पहचान है, राष्ट्रवाद हमारा धर्म है और राष्ट्र सर्वोपरि है।’’

उन्होंने कहा कि वह किसान परिवार से हैं और राजमाता अहिल्याबाई होल्कर भी किसान परिवार से ही थीं। उन्होंने जो मापदंड रखे वे अत्यंत सराहनीय हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक बात बहुत कम लोगों को पता है कि नारी के सशक्तीकरण के लिए अहिल्याबाई होल्कर ने बहुत ऊंचे मापदंड रखे और अपनी सेना में महिलाओं की टुकड़ी बनाई।

उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर की आत्मा कितनी प्रसन्न होगी कि आज के भारत में नारी सशक्तीकरण पराकाष्ठा पर है, सेना में महिलाओं का स्थान है और अब तो नारी का संसद और विधानसभा में भी आरक्षण है।

धनखड़ ने कहा, ‘‘किसानों के लिए अहिल्याबाई होल्कर ने बहुत काम किया। किसान मेरे दिल और दिमाग में हैं। किसान का दर्द मैं समझता हूं। किसान विकास में क्या योगदान कर सकता है यह आप सब जानते हैं और आप सब किसान परिवार के सदस्य हैं, इसीलिए मैं कहता हूं कि विकसित भारत होगा, निश्चित होगा, क्योंकि आप लोगों ने ठान रखी है।’’

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भाषा सलीम वैभव नेत्रपाल

नेत्रपाल

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