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Monday, September 1, 2025

क्या एआई एक संज्ञानात्मक क्रांति को जन्म दे रही है?

Newsक्या एआई एक संज्ञानात्मक क्रांति को जन्म दे रही है?

(वोल्फगैंग मेसनेर, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलीनी)

साउथ कैरोलाइना, तीन जून (द कन्वरसेशन) कृत्रिम मेधा (एआई) की शुरुआत मानव मस्तिष्क का अनुकरण करने की खोज के रूप में हुई थी।

लेकिन अब यह हमारे दैनिक जीवन में मानव मस्तिष्क की भूमिका को बदलने की प्रक्रिया में है?

औद्योगिक क्रांति ने शारीरिक श्रम की आवश्यकता को कम कर दिया था। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एआई के अनुप्रयोग पर शोध करने वाले व्यक्ति के रूप में मैं यह सोचने से खुद को नहीं रोक सका कि क्या एआई ज्ञान संबंधी क्रांति को बढ़ावा दे रही है या फिर ज्ञान संबंधी प्रक्रियाओं की आवश्यकता को समाप्त कर रही है क्योंकि एआई विद्यार्थियों, श्रमिकों और कलाकारों के लेखन, डिजाइन और निर्णय लेने के तरीके को नया आकार देती है।

ग्राफिक डिजाइनर अपने ग्राहकों को अपने काम का नमूना दिखाने के लिए एआई का उपयोग करते हैं। बाजार में मौजूद कंपनियां एआई निर्मित प्रोफाइल बनाकर इस बात की तसदीक करती हैं कि उनके विज्ञापन किस तरह काम करेंगे। सॉफ्टवेयर इंजीनियर एआई कोडिंग सहायकों से काम कराते हैं। छात्र रिकॉर्ड समय में निबंध की तैयारी के लिए एआई का उपयोग करते हैं और शिक्षक प्रतिक्रिया देने के लिए इसी तरह के टूल का उपयोग करते हैं।

आर्थिक और सांस्कृतिक निहितार्थ हैं ज्यादा

क्या होगा, जब लेखक को सही वाक्य लिखने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा, या फिर उस रचनाकार का जिसे सही चित्र बनाने से पहले दर्जनों स्कैच खराब नहीं करने पड़ेंगे? क्या वे इन एआई टूल पर अधिक से अधिक निर्भर नहीं हो जाएंगे, ठीक उसी तरह जैसे जीपीएस का उपयोग करने से रास्तों को ढूंढ निकालने का कौशल कम हो जाता है? सबसे जरूरी बात ये है कि ‘एल्गोरिदम’ के इस युग में मानव रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच को कैसे संरक्षित किया जा सकता है?

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औद्योगिक क्रांति की धमक

औद्योगिक क्रांति ने कारीगरी के कौशल को मशीनीकृत उत्पादन से बदल दिया, जिससे वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सका।

जूते, गाड़ियां व फसलें कुशलतापूर्वक और समान रूप से उत्पादित की जा सकती थीं। लेकिन एक ही तरह के उत्पादों से अधिक नीरसता, पूर्वानुमान और उनमें मौजूद हाथ की कारीगरी न के बराबर रह गयी। मशीनों के बढ़ते प्रयोग से शिल्प कौशल हाशिये पर चला गया।

आज, विचारों पर ठीक उसी तरह का खतरा मंडरा रहा है। जनरेटिव एआई लोगों को गति और गुणवत्ता, उत्पादकता और मौलिकता के बीच भ्रमित करने के लिए प्रेरित करती है।

खतरा इस बात का नहीं है कि एआई हमें नाकारा बना देगा बल्कि डर इस बात का है कि लोग इससे मिलने वाली जानकारी को सामान्यता आदर्श रूप से स्वीकार कर लेंगे। जब सब कुछ तेज, बिना किसी मेहनत और काफी अच्छी तरह से होता है, तो असाधारण मानव कार्य को परिभाषित करने वाली बारीकियों और बौद्धिक समृद्धि की हानि का जोखिम होता है।

एल्गोरिदम अनुरूपता का उदय

एआई के नाम में भले ही बुद्धिमता लिखा हो लेकिन यह वास्तव में नहीं सोचता है।

चैटजीपीटी, क्लाउड और जेमिनी जैसे टूल बड़ी संख्या में मानव निर्मित कंटेंट को संसाधित करते हैं, और खासकर उस कंटेंट को भी, जिसे अक्सर बिना संदर्भ या अनुमति के इंटरनेट से हटा दिया जाता है।

इन टूल के जरिये मिलने वाली जानकारी सांख्यिकीय पूर्वानुमान हैं, जो संसाधित किए गए आंकड़ों में चलन के आधार पर मौजूद जानकारी आप तक पहुंचाता है।

एआई संक्षेप में सामूहिक रूप से मानव रचनाओं की जानकारियां जुटाता है और वापस उपयोगकर्ता को दर्शाता है, जिसे पुनर्व्यवस्थित और पुनर्संयोजित किया हुआ होता है।

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और कई मायनों में यही कारण होता है कि ये इतने अच्छे से काम करते हैं।

एआई रचनात्मकता को बढ़ाता और घटाता है

सूत्रबद्ध कंटेंट की दुनिया में भी, एआई आश्चर्यजनक रूप से मददगार हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने लोगों को विभिन्न रचनात्मक चुनौतियों को पूरा करने का काम सौंपा और उन्होंने पाया कि जिन लोगों ने जनरेटिव एआई का इस्तेमाल किया, उनके विचार इंटरनेट पर खोजबीन करने वाले या फिर बिना किसी सहायता के विचार जाहिर करने वाले प्रतिभागियों के मुकाबले बेहतर थे।

दूसरे शब्दों में कहें तो एआई वास्तव में आधारभूत रचनात्मक प्रदर्शन को बढ़ा सकता है।

हालांकि शोध में आगे पता चला कि बाजार क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल उतना लाभकारी नहीं है। विचार-मंथन के लिए एआई पर निर्भरता ने विचारों में विविधता को काफी कम कर दिया है जो रचनात्मक सफलताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि एआई का मामूली इस्तेमाल भी समस्याओं के प्रति लोगों का दृष्टिकोण और समाधानों की कल्पना को मामूली रूप से बदल सकता है।

एक प्रयोग में प्रतिभागियों को एआई की सहायता से चिकित्सीय निदान करने का कार्य सौंपा गया। हालांकि, शोधकर्ताओं ने प्रयोग को इस प्रकार डिजाइन किया था कि कुछ प्रतिभागियों को एआई की ओर जानबूझकर त्रुटिपूर्ण सुझाव मिले। परिणामस्वरूप, जब इन प्रतिभागियों ने एआई टूल का उपयोग बंद भी कर दिया, तब भी वे अनजाने में उन्हीं पूर्वाग्रहों से जूझते रहे और अपने निर्णयों में भी वही गलतियां दोहराते रहे।

शॉर्टकट के रूप में शुरू होनी वाली सुविधा आपके कार्य में मौजूद मौलिकता को कम करने का चक्र बन जाती है, इसलिए नहीं कि ये टूल खराब कंटेंट देते हैं बल्कि इसलिए कि ये चुपचाप आपकी मानव रचनात्मकता को सीमित कर देते हैं।

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ज्ञान संबंधी क्रांति की ओर जाना

असली रचनात्मकता, नवाचार और अनुसंधान केवल पिछली जानकारी का पुनर्संयोजन नहीं हैं। इसके लिए विचार करना, समझ से परे सोचना और वास्तविक दुनिया के अनुभव की आवश्यकता होती है।

ये ऐसे गुण हैं, जिन्हें एआई दोहरा नहीं सकती। यह भविष्य का आविष्कार नहीं कर सकती। यह केवल बीते हुए का मिश्रण तैयार कर सकती है।

द कन्वरसेशन जितेंद्र नरेश

नरेश

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