नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली की एक अदालत के समक्ष दावा किया है कि रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान मंत्रालय ने ग्रुप-डी के उम्मीदवारों के नौकरी के आवेदनों को मंजूरी देने के लिए अत्यधिक दबाव डाला, जिन्होंने कथित तौर पर राजद प्रमुख के परिवार या सहयोगियों के नाम पर भूखंड उपहार में दिए या हस्तांतरित किए।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने कथित भूमि के लिए नौकरी घोटाले में आरोपों पर दलीलें सुन रहे थे।
इसमें मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में 2004 से 2009 के बीच नियुक्तियां की गई थीं। इस दौरान लालू प्रसाद रेल मंत्री थे।
सोमवार को कार्यवाही के दौरान विशेष लोक अभियोजक डी पी सिंह ने रेखांकित किया कि पदों के लिए आवेदन करने वाले सभी आवेदक बिहार से थे और ये ज्यादातर गरीब लोग थे, जिनके लिए सरकारी नौकरी हासिल करना फायदेमंद होता।
सिंह ने कहा कि एक विशेष दिन पर अनेक आवेदनों को ‘शीघ्रता’ से निपटाया गया, जबकि आवेदनों को निपटाने की प्रक्रिया सामान्यतः ‘धीमी’ होती है।
अभियोजक ने कहा कि यह सब इतनी जल्दी कैसे हो गया? हमारे पास ऐसे सरकारी गवाह हैं जो हमें बताते हैं कि (मंत्रालय की ओर से) दबाव बहुत ज्यादा था।
भाषा
शुभम सुरेश
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