नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने शिकायतकर्ता की “अविश्वसनीय” गवाही का हवाला देते हुए एक सैन्य अधिकारी और उसके दोस्त को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गगनदीप जिंदल ने शिकायतकर्ता की गवाही में विरोधाभासों और विसंगतियों के अलावा आरोपों को साबित करने के लिए फॉरेंसिक या चिकित्सकीय साक्ष्य के अभाव तथा पुलिस को मामले की सूचना देने में अस्पष्ट देरी पर प्रकाश डाला।
कर्नल पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376(2)(एन) (बार-बार बलात्कार), 328 (जहर आदि के जरिये नुकसाना पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था। कर्नल और उसके दोस्त के खिलाफ आईपीसी की धारा 376डी (सामूहिक बलात्कार) के तहत भी आरोप लगया था।
अदालत ने 30 मई के अपने आदेश में कहा, “शिकायतकर्ता की अकेली, अपुष्ट तथा अविश्वसनीय गवाही को किसी अन्य स्वतंत्र तथा ठोस साक्ष्य के अभाव में सत्य नहीं माना जा सकता…. अभियोजन पक्ष अभियुक्त के विरुद्ध अपने मामले को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है।” आदेश की प्रति दो जून को उपलब्ध कराई गयी।
अदालत ने शिकायतकर्ता के बयान का हवाला देते हुए कहा कि बलात्कार की पहली घटना अक्टूबर 2016 में दिल्ली में हुई थी और आखिरी घटना अगस्त 2021 में हुई थी, लेकिन पुलिस के समक्ष मामला नवंबर 2021 में दर्ज कराया गया।
अदालत ने कहा, ‘‘पुलिस को बलात्कार की पहली घटना की जानकारी पांच वर्ष से अधिक समय बाद, जबकि अंतिम घटना की जानकारी तीन महीने से अधिक समय बाद दी गयी। अभियोजन पक्ष ने इस देरी को यह कहते हुए सही ठहराने की कोशिश की थी कि आरोपी के पास शिकायतकर्ता का एक अश्लील वीडियो था, जिसे उसने (आरोपी ने) 28 अक्टूबर, 2016 को रिकॉर्ड किया था।’’
अदालत ने हालांकि, कहा कि जांच के दौरान ऐसा कोई वीडियो नहीं मिला और यहां तक कि सैन्य अधिकारी के मोबाइल फोन के फॉरेंसिक विश्लेषण में भी ऐसा कोई वीडियो सामने नहीं आया।
आदेश में कहा गया कि है शिकायतकर्ता वकील है ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि उसे उसके वैधानिक अधिकारों की जानकारी नहीं होगी।
पुलिस को मामले की सूचना देने में हुई पर्याप्त देरी की ओर इशारा करते हुए अदालत ने कहा कि विशेष रूप से सेना अधिकारी द्वारा शिकायतकर्ता के पेशेवर शुल्क के भुगतान के विवाद को देखते हुए, आरोपी व्यक्तियों को फंसाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
भाषा प्रशांत सुरेश
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