“झामुमो का आरोप: केंद्र सरकार के 11 साल, झारखंड के लिए निराशा और अनदेखी का दौर”

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रांची, 11 जून (भाषा) सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बुधवार को आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार के 11 साल के शासन में केवल झारखंड के लोगों का संघर्ष और उनके अनुत्तरित सवालों की फेहरिस्त बढ़ी है।

झामुमो ने आरोप लगाया, ‘‘मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के 11 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को तथाकथित ‘उपलब्धियों’ को रेखांकित करने के लिए झारखंड भेजा है। लेकिन यहां जमीनी हकीकत जश्न जैसी नहीं है।’

ईरानी ने मंगलवार को केंद्र सरकार की कई उपलब्धियां गिनाते हुए दावा किया था कि इस अवधि के दौरान 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। झामुमो प्रवक्ता और केंद्रीय समिति के सदस्य डॉ. तनुज खत्री ने आरोप लगाया कि झारखंड विधानसभा ने सरना धार्मिक संहिता को मान्यता देने की मांग करते हुए आम राय से प्रस्ताव पारित किया, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की है।

खत्री ने कहा कि यह न केवल एक प्रशासनिक चूक है, बल्कि आदिवासी समुदायों की पहचान और उनके सम्मान को जानबूझकर नकारना है।

उन्होंने कहा कि मणिपुर में लंबे समय से जारी हिंसा, खास तौर पर महिलाओं के साथ होने वाली क्रूरता ने सरकार की उदासीनता को उजागर किया है।

खत्री ने कहा, ‘‘ऐसे गंभीर संवैधानिक संकट के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी न केवल प्रशासनिक विफलता बल्कि नैतिक दिवालियापन को भी दर्शाती है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के हसदेव में पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के फैसले ने पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों से जुड़े सरकार के असली रुख को बेनकाब कर दिया है।

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खत्री ने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट), राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) और एसएससी जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में पेपर लीक होना आम बात हो गई है। उन्होंने कहा कि यह केवल भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि लाखों युवाओं के सपनों और प्रयासों के साथ विश्वासघात है।

खत्री ने कहा, ‘‘नोटबंदी को ऐतिहासिक कदम बताया गया, लेकिन इसने छोटे व्यापारियों, श्रमिकों और आम जनता को तबाह कर दिया। 100 से अधिक लोगों की जान चली गई, नौकरियां चली गईं और आखिरकार पुरानी मुद्रा वापस आ गई। इसके बावजूद माफी मांगने के बजाय सरकार अब भी दावा कर रही है कि यह उसकी ‘उपलब्धि’ है।’’

खत्री ने आरोप लगाया कि बिना बातचीत के तीन कृषि कानून (अब रद्द किये जा चुके) लाए गए, जिसके कारण बड़े पैमाने पर किसान आंदोलन हुआ और 700 से अधिक किसानों की मौत हो गई।

उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक के पीछे की मंशा पर भी सवाल उठाए और इसे चुनाव से पहले का हथकंडा बताया। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने बड़ी घोषणा की लेकिन इस पर अमल को वर्ष 2029 तक के लिए टाल दिया जिससे यह महज बयानबाजी साबित हुई।’’

खत्री ने आरोप लगाया कि महंगाई ने आम आदमी की क्रय शक्ति को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘दाल, सब्जियां और दूध जैसी बुनियादी जरूरतें तेजी से महंगी होती जा रही हैं, जबकि सरकार तेज आर्थिक विकास का दावा करती रहती है।’’

झामुमो ने भाजपा पर विपक्षियों को परेशान करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग करने और संसद को चर्चा के बजाय आदेश देकर चलाने का आरोप लगाया।

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भाषा संतोष पवनेश

पवनेश

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