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Tuesday, September 2, 2025

केरल विश्वविद्यालय में SFI का राज्यपाल अर्लेकर के खिलाफ प्रदर्शन, ‘भगवाकरण’ का आरोप

Newsकेरल विश्वविद्यालय में SFI का राज्यपाल अर्लेकर के खिलाफ प्रदर्शन, ‘भगवाकरण’ का आरोप

( तस्वीर सहित )

तिरुवनंतपुरम, 17 जून (भाषा) सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की छात्र शाखा ‘स्टुडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को केरल विश्वविद्यालय के सीनेट परिसर में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उन पर विश्वविद्यालय का ‘भगवाकरण’ करने की कोशिश का आरोप लगाया।

यह विरोध प्रदर्शन राज्यपाल के कुलाधिपति के रूप में एक बैठक में भाग लेने के लिए परिसर में आने से पहले हुआ।

वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर एक बैनर लगाने की कोशिश की, जिस पर लिखा था, ‘‘हमें चांसलर चाहिए… हत्यारे सावरकर नहीं’’।

हालांकि, पुलिस कर्मियों ने उन्हें बैनर लगाने की अनुमति नहीं दी, जिससे प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ मामूली झड़प हो गई।

बाद में कई प्रदर्शनकारी परिसर में घुसने में कामयाब हो गए और मुख्य भवन के प्रवेश द्वार पर महात्मा गांधी और बी आर अंबेडकर के पोस्टर लगा दिए। हालांकि, राज्यपाल के बैठक के लिए पहुंचने से पहले पुलिस ने उन्हें जबरन हटा दिया।

एसएफआई के राज्य अध्यक्ष शिवप्रसाद ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि वे कोई तनाव पैदा करने नहीं आए थे, बल्कि अर्लेकर को राष्ट्रपिता की तस्वीर दिखाने आए थे।

उन्होंने कहा कि वे राज्यपाल को राज्य परिसरों में आरएसएस का एजेंडा लागू करने और उसका भगवाकरण करने की अनुमति नहीं देंगे।

एसएफआई ने सोमवार को राज्यपाल के आधिकारिक आवास में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) नेताओं की कथित तस्वीरें लगाए जाने के खिलाफ राजभवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया था।

प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने राज्यपाल के आधिकारिक आवास के परिसर में घुसने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने बल प्रयोग करके उन्हें तुरंत रोक दिया।

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मीडिया के एक वर्ग ने हाल ही में राजभवन में भारत माता के साथ आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार और विचारक गोलवलकर की तस्वीरें प्रदर्शित किए जाने की खबर दी थी।

ताजा विवाद राजभवन द्वारा पर्यावरण दिवस समारोह में भारत माता के चित्र का इस्तेमाल किए जाने के कुछ दिनों बाद शुरू हुआ, जिस पर सत्तारूढ़ एलडीएफ में दूसरे सबसे बड़े गठबंधन सहयोगी भाकपा के नेतृत्व ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

भाकपा नेता और कृषि मंत्री पी प्रसाद ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग सरकारी कार्यक्रमों को राजनीतिक कार्यक्रमों में नहीं बदल सकते। प्रसाद ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।

सीपीआई (एम) नेता और राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने भी इसी तरह का विचार व्यक्त किया। हालांकि, राज्यपाल ने इस कृत्य को उचित ठहराया और यह स्पष्ट किया कि ‘‘चाहे किसी भी तरफ से दबाव क्यों न हो, भारत माता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।’’

भाषा धीरज मनीषा

मनीषा

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