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Monday, September 1, 2025

ईडी समन पर भड़की वकीलों की संस्था, CJI को पत्र में कहा— “कानूनी पेशे की स्वतंत्रता पर खतरा”

Newsईडी समन पर भड़की वकीलों की संस्था, CJI को पत्र में कहा— "कानूनी पेशे की स्वतंत्रता पर खतरा"

नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने शुक्रवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई को पत्र लिखकर कथित तौर पर कानूनी सलाह देने के लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता को ईडी द्वारा भेजे गए समन पर ध्यान देने को कहा।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सूत्रों ने हालांकि बताया कि एजेंसी वेणुगोपाल को जारी समन वापस लेने की प्रक्रिया में है।

इससे पहले, एससीएओआरए के अध्यक्ष विपिन नायर ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था कि यह “बेहद परेशान करने वाला घटनाक्रम है, जिसका कानूनी पेशे की स्वतंत्रता और वकील-ग्राहक गोपनीयता के मूलभूत सिद्धांत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।”

यह पत्र ईडी द्वारा वरिष्ठ वकील प्रताप वेणुगोपाल को तलब किए जाने के बाद आया है।

पत्र में उन्होंने कहा, “हमारे संज्ञान में आया है कि वरिष्ठ अधिवक्ता प्रताप वेणुगोपाल को 19 जून को ईडी द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत मेसर्स केयर हेल्थ इंश्योरेंस लिमिटेड द्वारा दिए गए कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी) की जांच के संबंध में 18 जून की तारीख वाला एक समन प्राप्त हुआ है, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार द्वारा दी गई कथित कानूनी राय के लिए कहा गया है, जिसमें प्रताप वेणुगोपाल, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड थे, जो रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व अध्यक्ष रश्मि सलूजा को स्टॉक विकल्प दिए जाने का समर्थन कर रहे थे।”

पीएमएलए की धारा 50 “समन, दस्तावेज प्रस्तुत करने और साक्ष्य देने आदि के संबंध में प्राधिकारियों की शक्तियों” से संबंधित है।

पत्र में कहा गया है कि वेणुगोपाल को 24 जून को ईडी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया है।

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इसमें कहा गया है, “यह उल्लेख करना आवश्यक होगा कि इसी तरह का नोटिस पहले भी ईडी द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार को जारी किया गया था, हालांकि बाद में इसे वापस ले लिया गया था।”

वेणुगोपाल को कानूनी बिरादरी वेणुगोपाल की गिनती बेहद सम्मानित हस्तियों में होती थी। उनकी ईमानदारी और पेशेवर निष्ठा को “बेजोड़” बताया गया है।

पत्र में कहा गया, “हमारा मानना ​​है कि प्रवर्तन निदेशालय की ये कार्रवाई वकील-ग्राहक के पवित्र विशेषाधिकार का अनुचित उल्लंघन है, तथा वकीलों की स्वायत्तता और निर्भीकता से काम करने के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं।”

भाषा प्रशांत माधव

माधव

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