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Monday, September 1, 2025

अंग्रेजी शर्म की नहीं, सशक्त बनाने वाली भाषा है: विपक्ष

Newsअंग्रेजी शर्म की नहीं, सशक्त बनाने वाली भाषा है: विपक्ष

नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) विपक्षी दलों ने अंग्रेजी को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की कथित टिप्पणी की शुक्रवार को आलोचना की और कहा कि यह ‘‘शर्म की नहीं, बल्कि सशक्त बनाने वाली’’ भाषा है और जंजीरें तोड़ने का माध्यम है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नहीं चाहते कि भारत का गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे, क्योंकि वो नहीं चाहते कि लोग सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें।

उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है।

राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेजी जंजीर नहीं – जंजीरें तोड़ने का औजार है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस नहीं चाहते कि भारत का गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे, क्योंकि वो नहीं चाहते कि लोग सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘लाखों भारतीय अंग्रेजी के अलावा – उनसे (शाह से) अधिक भारतीय भाषाएं बोलते हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि शाह पहलगाम में बर्बर आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में लाने में पूरी तरह विफल रहे हैं।

रमेश ने यह आरोप भी लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में बुरी तरह विफल रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि भारत में 22 संवैधानिक मान्यता प्राप्त भाषाएं और 19,500 भाषाएं और बोलियां हैं तथा यह देश की ‘विविधता में एकता’ को दर्शाती हैं।

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राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता ने एक वीडियो बयान में कहा कि 97 प्रतिशत लोग मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक का अपनी मातृभाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन केंद्र यह नहीं समझता है।

ओब्रायन ने कहा, ‘‘भारत में 97 प्रतिशत लोग संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं में से किसी एक का अपनी मातृभाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। करीब 19,500 भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल मातृभाषा के रूप में किया जाता है। यह हमारे महान राष्ट्र की ‘विविधता में एकता’ है। अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनका ‘गिरोह’ इसे कभी नहीं समझ पाएंगे।’’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य पी संदोश कुमार ने कहा कि शाह की कथित टिप्पणी ‘‘भारत की भाषाई विविधता को कलंकित करने और आरएसएस-भाजपा के सांस्कृतिक बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने का जानबूझकर किया गया प्रयास है।’’

भाषा हक

हक दिलीप

दिलीप

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