नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप को नामित करने पर पाक सरकार की आलोचना

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(एम जुल्करनैन)

लाहौर, 22 जून (भाषा) नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने पर पाकिस्तान सरकार के साथ-साथ वहां के सैन्य प्रतिष्ठान को सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नॉर्वे में नोबेल शांति पुरस्कार समिति को औपचारिक रूप से एक पत्र भेजा है, जिसमें हाल ही में भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के दौरान ‘निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप’ के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देने की सिफारिश की गई है।

घोषणा के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उपयोगकर्ताओं ने अपने ‘आका’ अमेरिकी राष्ट्रपति को खुश करने के लिए पाकिस्तानी सरकार की आलोचना शुरू कर दी।

अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नतांज परमाणु केंद्रों पर हमला करके देश के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने के बाद आलोचनाएं तेज हो गईं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर ईरान ने जवाबी कार्रवाई की तो और हमले किए जाएंगे।

रविवार को ‘एक्स’ पर एक उपयोगकर्ता ने कहा, ‘पाकिस्तानियों, सावधान! ईरान पर हमले के बाद प्रधानमंत्री शहबाज न केवल राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कर सकते हैं, बल्कि उन्हें तमगा-ए-जुरात (साहस का पदक), तमगा-ए-शुजात (बहादुरी का पदक), तमगा-ए-बसालत (वीरता का पदक), तमगा-ए-इम्तियाज (उत्कृष्टता का पदक) और शायद निशान-ए-हैदर (पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान) भी प्रदान कर सकते हैं।’

पाकिस्तानी पत्रकार अमीर अब्बास ने कहा: ‘वही ट्रंप जिसकी तुलना पीएमएल-एन के वरिष्ठ नेता ख्वाजा साद रफीक ने एक बार चंगेज खान और हिटलर से की थी – कल रात उसी पीएमएल-एन सरकार ने उन ‘चंगेज खान और हिटलर’ को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया। ऐसे शर्मनाक और कायरतापूर्ण फैसले कौन ले रहा है?’

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उन्होंने पूछा, ‘नवाज शरीफ और आसिफ जरदारी सत्ताधारियों को खुश करने के लिए किस हद तक जा सकते हैं – देश, व्यवस्था, संसद, संविधान, लोकतंत्र और राजनीतिक परंपराओं को रसातल में फेंक देंगे?’

राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार राहीक अब्बासी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जिस डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ पश्चिमी देश युद्ध अपराधों के लिए विरोध कर रहे थे, उसी को इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है।

उन्होंने पूछा, ‘क्या उन लोगों में सम्मान या इंसानियत नाम की कोई चीज है जिन्होंने ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया, जिन्होंने गाजा युद्ध विराम प्रस्ताव पर आठ बार वीटो लगाया था?’

उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘धन्यवाद हाफिज साहब (सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर)।’

एक अन्य ने कहा कि सरकार इस पुरस्कार के लिए इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को नामित कर सकती थी, लेकिन शुक्र है कि ट्रंप को चुना गया। ‘यह भी संभव है कि नेतन्याहू को अगली श्रेणी के लिए चुना गया हो।’

जर्जीस अहमद नामक व्यक्ति ने कहा: ‘हम फलस्तीनियों के नरसंहार में शामिल किसी व्यक्ति के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश कर रहे हैं और साथ ही हम ईरान के साथ खड़े होने का दावा भी करते हैं। यह पाखंड की चरम सीमा है।’

मेजर (सेवानिवृत्त) असीम ने सैन्य प्रतिष्ठान पर अपनी इच्छानुसार निर्णय लेने का आरोप लगाया और कहा कि देश के ‘बेताज बादशाह’ ‘जब चाहे देश को बेचने को तैयार रहते हैं’।

एक अन्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ता आमिर खान ने कहा: ‘शहबाज शरीफ, आसिफ जरदारी, नवाज शरीफ और आसीम मुनीर ने मुसलमानों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार आतंकवादी डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया है। मुसलमानों, हमारे देश और पाकिस्तान के लोगों के साथ इससे बड़ा विश्वासघात और क्या हो सकता है? राष्ट्र को उन्हें जवाबदेह ठहराना चाहिए।’

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भाषा

शुभम नरेश

नरेश

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