नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) ने स्पष्ट किया है कि बच्चों को गोद लेने वाले माता-पिता को दत्तक ग्रहण आदेशों की हार्ड कॉपी की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ई-मेल के माध्यम से भेजे गए डिजिटल रूप से प्रमाणित संस्करण कानूनी रूप से वैध और वर्तमान नियमों के तहत पर्याप्त हैं।
सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों (एसएए) और जिला बाल संरक्षण इकाइयों (डीसीपीयू) को जारी पत्र में, कारा ने दत्तक ग्रहण विनियमन, 2022 के विनियमन 13(8) के बारे में भ्रम पर ध्यान केंद्रित किया, जो दत्तक ग्रहण करने वाले परिवारों को संबंधित आदेश देने की प्रक्रिया को रेखांकित करता है।
यह स्पष्टीकरण इन खबरों के बीच आया है कि कुछ दत्तक ग्रहण एजेंसियां और संरक्षण इकाइयां ई-मेल से भेजे गए आदेशों की वैधता के बारे में अनिश्चित थीं, जिससे गोद लेने की प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देने में देरी और गलतफहमी हुई। विनियमन में अनिवार्य है कि दत्तक ग्रहण आदेश की प्रमाणित प्रति जिसे जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय द्वारा सत्यापित किया गया हो, एसएए द्वारा डीसीपीयू के माध्यम से प्राप्त की जानी चाहिए।
फिर इस प्रति को गोद लेने वाले माता-पिता को 10 दिन के भीतर ई-मेल के माध्यम से भेजा जाना चाहिए और डाउनलोड के लिए निर्दिष्ट पोर्टल पर अपलोड किया जाना चाहिए।
‘प्रमाणित प्रति’ शब्द को स्पष्ट करते हुए कारा ने कहा कि इसका तात्पर्य आधिकारिक सत्यापन वाले डिजिटल रूप से प्रमाणित संस्करण से है, न कि भौतिक मूल या हार्ड कॉपी से।
पत्र में कहा गया है कि ‘‘प्रमाणित डिजिटल/ई-मेल की प्रतियों, जिन्हें सक्षम प्राधिकारी द्वारा सत्यापित किया गया हो, को विनियमन के अनुरूप माना जाएगा।’’
कारा ने सभी एजेंसियों से जिला स्तर पर समन्वय करने का भी आग्रह किया ताकि प्रमाणित प्रतियों को सुरक्षित करने या अग्रेषित करने में आने वाली प्रक्रियागत बाधाओं को दूर किया जा सके। इस परामर्श का उद्देश्य पूरे देश में गोद लेने की प्रक्रियाओं का एक समान कार्यान्वयन सुनिश्चित करना और गोद लेने वाले परिवारों के लिए प्रक्रिया सहज बनाना है।
भाषा वैभव मनीषा
मनीषा