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Monday, September 1, 2025

मेघालय उच्च न्यायालय ने केंद्र-राज्य सरकार को दी भाषाई अल्पसंख्यक विकास रिपोर्ट पेश करने की चेतावनी

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शिलांग, दो जुलाई (भाषा) मेघालय उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को इस बारे में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है कि इस पूर्वोत्तर राज्य में भाषाई अल्पसंख्यकों के विकास और कल्याण पर भाषाई अल्पसंख्यक आयुक्त द्वारा 2016 में की गई सिफारिशों को लागू किया गया या नहीं।

राज्य में भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों की वकालत करने वाले मेघालय भाषाई अल्पसंख्यक विकास मंच द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि खासी और गारो भाषी लोगों की संख्या अधिक है, लेकिन एक बड़ी आबादी बंगाली, नेपाली, हिंदी, असमिया और अन्य भाषाएं भी बोलती है।

भाषाई अल्पसंख्यक आयुक्त ने 2016 में आधिकारिक दस्तावेजों का अल्पसंख्यक भाषाओं में अनुवाद करने, स्कूलों में भाषा वरीयता रजिस्टर बनाने और अल्पसंख्यक भाषा शिक्षण संस्थानों को आधिकारिक मान्यता एवं समर्थन देने की सिफारिश की थी।

मुख्य न्यायाधीश आई पी मुखर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू डिएंगदोह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र और राज्य दोनों को 10 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट की वर्तमान स्थिति स्पष्ट करने को कहा।

आदेश में कहा गया है, ‘‘हम भारत सरकार और राज्य के अनुभवी अधिवक्ताओं को 29 मार्च, 2016 की आयुक्त की रिपोर्ट की स्थिति के संबंध में मामले में उचित निर्देश लेने का आदेश देते हैं।’’

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से राज्य सरकार को भाषाई कल्याण बोर्ड गठित करने के निर्देश जारी करने का भी आग्रह किया, जो 2016 में की गई सिफारिशों में से एक थी।

इसके जवाब में, सरकार के वकील ने दलील दी कि भाषाई अल्पसंख्यकों के आयुक्त के पास पूर्ण अधिकार नहीं है। वकील ने कहा कि रिपोर्ट की भारत के राष्ट्रपति द्वारा जांच होनी चाहिए और संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

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भाषा गोला मनीषा

मनीषा

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