अंतरिक्ष से वापसी को तैयार शुभांशु शुक्ला, 18 दिन बाद धरती पर लौटेंगे

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(तस्वीरों सहित)

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में 18 दिन बिताने के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और वाणिज्यिक ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत उनके तीन अन्य सहयोगी अंतरिक्ष यात्री सोमवार को धरती पर वापसी की यात्रा के लिए रवाना होंगे।

राकेश शर्मा की 1984 की यात्रा के बाद शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं। वह और उनके सहयोगी अंतरिक्ष यात्री भारतीय समयानुसार दोपहर लगभग दो बजे ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होंगे तथा दो घंटे बाद वापसी की यात्रा पर निकलेंगे।

‘एक्सिओम स्पेस’ ने एक बयान में कहा, ‘‘आईएसएस से ‘अनडॉकिंग’ का समय सुबह छह बजकर पांच मिनट (भारतीय समयानुसार शाम चार बजकर 35 मिनट) से पहले निर्धारित नहीं है।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘पृथ्वी पर 22.5 घंटे की यात्रा के बाद चालक दल के कैलिफोर्निया तट पर केंद्रीय समय तड़के चार बजकर 31 मिनट (भारतीय समयानुसार मंगलवार को अपराह्न तीन बजकर एक मिनट) पर उतरने की उम्मीद है।’’

रविवार को अभियान के 73 अंतरिक्ष यात्रियों ने शुक्ला, कमांडर पैगी व्हिटसन और पोलैंड के मिशन विशेषज्ञ स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की एवं हंगरी के टिबोर कापू सहित एक्सिओम-4 मिशन के चालक दल के लिए एक पारंपरिक विदाई समारोह का आयोजन किया।

एक्सिओम-4 मिशन के जरिए चार दशकों से भी अधिक समय के बाद भारत, पोलैंड और हंगरी की अंतरिक्ष में वापसी हुई है।

शुक्ला ने रविवार को आईएसएस पर विदाई समारोह में कहा, ‘‘जल्दी ही धरती पर मुलाकात करते हैं।’’

ड्रैगन अंतरिक्षयान का आईएसएस से अलग होने की प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित व्यवथा के तहत होगी।

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अनडॉकिंग के बाद, ड्रैगन इंजन आवश्यक ऊर्जा के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरेगा ताकि वह सुरक्षित रूप से आईएसएस से दूरी बनाए और पुनः प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर सके।

अंतिम तैयारियों में कैप्सूल के ट्रंक को अलग करना और वायुमंडलीय प्रवेश से पहले हीट शील्ड को सही दिशा में रखना शामिल है। इस दौरान अंतरिक्षयान लगभग 1,600 डिग्री सेल्सियस तापमान का सामना करेगा।

पैराशूट दो चरणों में तैनात किए जाएंगे – पहले लगभग 5.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट और उसके बाद लगभग दो किलोमीटर की ऊंचाई पर मुख्य पैराशूट तैनात होगा।

‘अनडॉकिंग’ के लगभग 22.5 घंटे बाद कैलिफोर्निया के तट पर यान के उतरने की उम्मीद है और अंतरिक्ष कैप्सूल को एक विशेष जहाज द्वारा वापस लाया जाएगा।

शुक्ला ने उस समय को याद किया जब उनके आदर्श राकेश शर्मा 41 साल पहले अंतरिक्ष की यात्रा पर गए थे और बताया था कि वहां से भारत कैसा दिखता था।

शुक्ला ने कहा, ‘‘हम सभी अब भी यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि आज भारत ऊपर से कैसा दिखता है। आज का भारत महत्वाकांक्षी दिखता है। आज का भारत निडर दिखता है, आज का भारत आत्मविश्वास से भरा दिखता है। आज का भारत गर्व से पूर्ण दिखता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी कारणों से मैं एक बार फिर कह सकता हूं कि आज का भारत अब भी ‘सारे जहां से अच्छा’ दिखता है।’’

रविवार को आईएसएस पर एक औपचारिक विदाई समारोह में एक्सिओम-4 चालक दल के सदस्यों ने वहां मौजूद सदस्यों को संबोधित किया। कुछ सदस्य भावुक भी हुए जब उन्होंने एक्सपेडिशन 73 के सदस्यों को गले लगाया, जिनके साथ इस प्रवास के दौरान उनकी नयी नयी दोस्ती हुई थी।

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शुक्ला ने कहा, ‘‘25 जून को जब मैंने फाल्कन-9 पर उड़ान भरी थी तब मैंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। मुझे लगता है कि इसमें शामिल लोगों की वजह से यह अविश्वसनीय रहा है। मेरे (एक्सपेडिशन 73 चालक दल) पीछे खड़े लोगों ने इसे हमारे लिए वाकई खास बना दिया है। यहां आकर और आप जैसे पेशेवरों के साथ काम करके मुझे बहुत खुशी हुई।’’

चारों अंतरिक्ष यात्रियों को धरती के वातावरण के अनुकूल स्थिति में लौटने के लिए पुनर्वास में सात दिन बिताने की उम्मीद है क्योंकि उन्हें अंतरिक्ष स्टेशन पर भारहीनता के विपरीत धरती के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में जीवन के साथ सामंजस्य बिठाना होगा।

शुक्ला के लिए यह एक ऐतिहासिक यात्रा रही है, जो आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने और 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन के तहत शर्मा की महत्वपूर्ण अंतरिक्ष उड़ान के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय व्यक्ति बने।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्ला की आईएसएस यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया। यह एक ऐसा अनुभव होगा जो अंतरिक्ष एजेंसी को अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान की योजना और निष्पादन में मदद करेगा जिसे 2027 में संचालित किए जाने की योजना है।

भाषा

सुरभि मनीषा

मनीषा

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