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Monday, September 1, 2025

कर्नाटक: पिछले छह माह में कुत्तों के काटने के 2.3 लाख से अधिक मामले आए, रेबीज से 19 लोगों की मौत

Newsकर्नाटक: पिछले छह माह में कुत्तों के काटने के 2.3 लाख से अधिक मामले आए, रेबीज से 19 लोगों की मौत

(अंजली पिल्लै)

बेंगलुरु, 20 जुलाई (भाषा) कर्नाटक में पिछले छह महीनों में कुत्तों के काटने के 2.3 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं और रेबीज से कुल 19 लोगों की मौत हुई है। रविवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।

पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में इस बार कुत्तों के काटने के मामले में बढ़ोतरी देखने को मिली है।

कर्नाटक में वर्ष 2024 में कुत्तों के काटने के 3.6 लाख मामले दर्ज किए गए थे और रेबीज से 42 लोगों की जान गई थी।

राज्य स्वास्थ्य विभाग के ‘इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम’ (आईडीएसपी) द्वारा ‘पीटीआई-भाषा’ को साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में इस वर्ष एक जनवरी से 30 जून के बीच कुत्तों के काटने के 2,31,091 मामले सामने आए हैं। वहीं, रेबीज के कारण 19 लोगों‍ की मौत हुई है।

इसकी तुलना में, पिछले वर्ष इसी अवधि में कुत्तों के काटने के 1,69,672 मामले सामने आए थे तथा रेबीज से 18 मौतें हुई थीं।

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि 2024 के इसी अवधि की तुलना में कुत्तों के काटने के मामलों में लगभग 36.20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

सोशल मीडिया पर इस सप्ताह एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें हुबली की सड़कों पर दो आवारा कुत्ते तीन साल की बच्ची पर हमला कर उसे घसीटते हुए नजर आ रहे हैं। इस घटना के बाद से लोगों की चिंताएं बढ़ गई थीं।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव हर्ष गुप्ता ने कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है।

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उन्होंने कहा, ‘अब मामलों की संख्या अधिक प्रतीत हो रही है, क्योंकि उन्हें अधिक सटीक रूप से रिपोर्ट किया जा रहा है। पहले भी इसी तरह की घटनाएं होती थीं, लेकिन अब रिपोर्टिंग बेहतर हो गई है।’

गुप्ता ने ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए विभाग के प्रयासों का जिक्र करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम जागरूकता पैदा करने, कुत्तों के काटने के शिकार लोगों के इलाज के लिए चिकित्सकों को प्रशिक्षण देने, पर्याप्त मात्रा में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और शहरी स्थानीय निकायों तथा ग्रामीण प्रशासन को आवारा कुत्तों की आबादी का प्रबंधन करने के निर्देश देने पर ध्यान दे रहे हैं।’’

भाषा प्रीति दिलीप

दिलीप

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