नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को लोकसभा को बताया कि पानी की कमी, दुर्गम भूभाग और राज्य वित्त पोषण में देरी, सरकार के महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन (जेजेएम) की गति को धीमा करने वाले प्रमुख अवरोधों में शामिल हैं।
जल जीवन मिशन का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से पानी पहुंचाना है।
पिछले बजट में जल जीवन मिशन की समय सीमा 2024 से बढ़ाकर 2028 कर दी गई थी।
जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि कई राज्यों ने सूखाग्रस्त और रेगिस्तानी क्षेत्रों में भरोसेमंद जल स्रोतों की कमी, भूजल प्रदूषण, बिखरी हुई ग्रामीण बस्तियों और वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने में देरी जैसी बाधाओं की सूचना दी है।
उन्होंने कहा कि बढ़ती निर्माण लागत और स्थानीय स्तर पर सीमित तकनीकी क्षमता ने भी मिशन के कार्यान्वयन की गति को और प्रभावित किया है।
मंत्री के जवाब के अनुसार कुछ राज्यों ने समय पर अपने हिस्से की धनराशि भी जारी नहीं की है, जिससे चालू परियोजनाओं में अड़चनें आ रही हैं।
सोमन्ना ने कहा कि इन मुद्दों को दूर करने के लिए, केंद्र ने कुशल स्थानीय श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के लिहाज से ‘नल जल मित्र’ कार्यक्रम जैसी पहल शुरू की है और कार्यान्वयन क्षमता को मजबूत करने के लिए राज्य और जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयां स्थापित की हैं।
सरकार ने कहा कि वह मनरेगा, वाटरशेड कार्यक्रमों और वित्त आयोग अनुदान जैसी योजनाओं के साथ मिलकर वर्षा जल संचयन, बोरवेल जल पुनर्भरण संरचनाओं, ग्रेवाटर के पुन: उपयोग और जल निकायों के पुनरुद्धार के माध्यम से स्रोत स्थिरता को बढ़ावा दे रही है।
भाषा वैभव माधव
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