नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्र पर बंगाल विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि राज्यसभा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से जुड़े एक सवाल के लिखित जवाब में पश्चिम बंगाल का नाम नहीं था।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पहले कहा था कि केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण मनरेगा कानून की धारा 27 के प्रावधानों के अनुसार, 9 मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को मनरेगा के तहत धनराशि नहीं जारी की गयी है।
राज्यसभा में तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन के एक सवाल के लिखित जवाब में ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की लंबित देनदारियों की सूची दी, जिसमें पश्चिम बंगाल का नाम नहीं था।
तृणमूल के राज्यसभा सदस्य रीताब्रता बनर्जी ने कहा, ‘‘डेरेक ओ ब्रायन ने मनरेगा के बारे में एक सवाल किया था। जवाब में पश्चिम बंगाल का नाम न होना हास्यास्पद है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘… केंद्र सरकार की बांग्ला-विरोधी मानसिकता स्पष्ट है। यहां तक कि संसद में दिए गए जवाबों में भी पश्चिम बंगाल का नाम नहीं है।’’
ओ ब्रायन ने अपने प्रश्न के जरिये यह जानना चाहा था कि क्या यह सच है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के बीच मनरेगा के तहत पंजीकृत परिवारों की संख्या में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि प्रति परिवार औसत रोजगार के दिनों में गिरावट आई है।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने जवाब में कहा कि 2023-24 में इस योजना के तहत पंजीकृत परिवारों की संख्या 14.81 करोड़ थी, जो 2024-25 में बढ़कर 15.99 करोड़ हो गई जबकि 2023-24 में प्रति परिवार औसत रोजगार के दिन 52.08 थे जो 2024-25 में घटकर 50.23 हो गया।
उन्होंने 21 जुलाई तक योजना के तहत मजदूरी और सामग्री घटकों के लिए लंबित देनदारियों का राज्य और केंद्र शासित प्रदेशवार विवरण प्रदान किया। इस सूची में पश्चिम बंगाल का नाम नहीं था।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की और कहा कि ‘यह असाधारण, अभूतपूर्व और अस्वीकार्य है।’
भाषा अविनाश सुभाष
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