बेंगलुरु, 25 जुलाई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने तीन मुस्लिम व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को खारिज कर दिया है, जिन पर बागलकोट जिले के जामखंडी में एक हिंदू मंदिर के निकट ‘‘इस्लाम का प्रचार’’ करने और धार्मिक पर्चे बांटने का आरोप लगाया गया था।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने नौकरी का वादा करके धर्मांतरण का प्रयास किया तथा हिंदू धर्म के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां कीं।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने माना कि जबरदस्ती, धोखाधड़ी या प्रलोभन का कोई ठोस सबूत नहीं था – जो कि कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2022 के तहत अभियोजन के लिए आवश्यक मानदंड है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि धार्मिक साहित्य की अभिव्यक्ति या वितरण मात्र अपराध नहीं है, जब तक कि उसके साथ धर्मांतरण के लिए बलपूर्वक या धोखे से प्रयास न किया गया हो।
पीठ ने कहा, ‘‘एक स्वतंत्र समाज का सार आस्था को व्यक्त करने, चर्चा करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता में निहित है।’’
इसके अतिरिक्त, पीठ ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता न तो कथित पीड़ित था और न ही किसी का रिश्तेदार था।
2022 अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, केवल पीड़ित व्यक्ति या उनके करीबी रिश्तेदारों को ही ऐसी शिकायत दर्ज कराने की अनुमति है – जिससे प्राथमिकी प्रक्रियात्मक रूप से अमान्य हो जाती है।
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देवेंद्र नरेश
नरेश