मुंबई, 25 जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को गाजा में कथित नरसंहार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने से मुंबई पुलिस के इनकार के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया और पार्टी को घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
माकपा ने अदालत की टिप्पणी की आलोचना करते हुए दावा किया कि इसमें संवैधानिक स्वतंत्रता और फलस्तीन देश की स्वतंत्रता के प्रति भारत के पारंपरिक समर्थन की अनदेखी की गई है।
पार्टी ने अदालत का रुख तब किया, जब पुलिस ने पिछले महीने अखिल भारतीय शांति और एकजुटता संगठन को गाजा में ‘‘नरसंहार’’ के विरोध में दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में रैली करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि पार्टी को हजारों मील दूर के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय देश को प्रभावित करने वाली समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
माकपा की ओर से पेश हुए वकील मिहिर देसाई ने उच्च न्यायालय को बताया कि पुलिस ने इस आधार पर अनुमति देने से इनकार कर दिया कि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है।
उन्होंने दलील दी कि नागरिकों को ऐसे आयोजनों के लिए निर्धारित स्थान पर प्रदर्शन करने का अधिकार है, और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की संभावना इस अधिकार को अस्वीकार करने का कारण नहीं हो सकती।
हालांकि, न्यायालय ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया।
भाषा शफीक रंजन
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