बोलपुर (पश्चिम बंगाल), 28 जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देशभर में बांग्ला भाषी प्रवासियों पर कथित हमलों के विरोध में सोमवार को बीरभूम जिले के बोलपुर से ‘भाषा आंदोलन’ शुरू किया।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने पहले इन कथित हमलों को राष्ट्रीय ताने-बाने से बंगाली पहचान को मिटाने का प्रयास करार दिया था।
भावनाओं और प्रतीकों से भरपूर यह विरोध मार्च ‘टूरिस्ट लॉज’ चौराहे से शुरू हुआ और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की भूमि पर तीन किलोमीटर की दूरी तय कर जम्बोनी बस अड्डे पर समाप्त हुआ।
हाथ में टैगोर का चित्र लिए हुए ममता ने सड़क के दोनों ओर खड़ी भीड़ का अभिवादन करते हुए रैली का नेतृत्व किया।
पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रतुल मुखोपाध्याय का प्रतिष्ठित विरोध गान ‘‘अमी बांग्लाय गान गाई’’ गाया, जबकि सफेद और लाल साड़ियां पहने महिलाओं ने शंख बजाया, जिससे रैली में एक विशिष्ट बंगाली संस्कृति का रंग भर गया।
ममता ने अपनी जानी-पहचानी सूती साड़ी और शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती का पारंपरिक दुपट्टा पहन रखा था। उनके साथ वरिष्ठ तृणमूल नेता और मंत्री थे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टैगोर की भूमि और बंगाल के सांस्कृतिक केंद्र बोलपुर को चुना जाना एक गहरे प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाता है।
ममता ने पिछले हफ्ते तृणमूल कार्यकर्ताओं से 28 जुलाई से एक नए आंदोलन के लिए तैयार रहने की अपील की थी और उन्होंने इसे दूसरा ‘भाषा आंदोलन’ कहा था, जो ढाका (तब पूर्वी पाकिस्तान में) में 1952 के ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन के समान है, जहां छात्रों ने बांग्ला को पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने की मांग करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था।
संयुक्त राष्ट्र ने बाद में उस संघर्ष की स्मृति में 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया।
मुख्यमंत्री की रैली गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, ओडिशा, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बंगाली प्रवासियों के कथित उत्पीड़न की खबरों के बाद राज्य में राजनीतिक रूप से तनावपूर्ण माहौल के बीच हुई है।
भाषा गोला सिम्मी
सिम्मी