इंफाल, 29 जुलाई (भाषा) मणिपुर उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को पिछले साल नवंबर में जिरीबाम में हुई तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या के मामले में एक महीने के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश के. सोमशेखर और न्यायमूर्ति ए बिमोल सिंह की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने बावजूद आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के संबंध में आज तक कोई विशिष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई।
अदालत ने कहा कि केंद्र के वकील ने सूचित किया है कि ‘‘जांच एजेंसी जांच पूरी करने और दोषियों/आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया में है।’’
केंद्र के वकील ने अदालत के समक्ष सीलबंद लिफाफों के दो सेट पेश किए, जिनमें जांच की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट थी।
आदेश में कहा गया, ‘‘जिन दो सीलबंद लिफाफों में विस्तृत प्रगति रिपोर्ट होने की बात कही गई है, उन्हें रिकॉर्ड में लिया जाता है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इस मामले की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 173 और बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) अधिनियम, 2023 के संबंधित प्रावधानों के तहत आरोप पत्र के संदर्भ में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक महीने का समय दिया जाता है।’’
उसने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि कोई प्रगति नहीं होती है, तो मामले को गंभीरता से लिया जाएगा।’’
मामले में आगे की सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की गई।
जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा इलाके में एक सुरक्षा शिविर पर 11 नवंबर को हुए हमले के दौरान तीन महिलाओं और तीन बच्चों का अपहरण कर लिया गया था।
मणिपुर-असम सीमा पर बराक नदी से 15 नवंबर को छह लोगों के गोलियों से छलनी शव बरामद किए गए।
भाषा
सिम्मी गोला
गोला