नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को बीजू जनता दल (बीजद) सदस्य सस्मित पात्रा ने सरकार से सवाल किया कि क्या उसने अमेरिकी प्रशासन से औपचारिक रूप से बातचीत कर यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम के बारे में सार्वजनिक रूप से जिक्र क्यों करते रहते हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर उच्च सदन में हुई विशेष चर्चा में भाग लेते हुए पात्रा ने कहा कि एक भारतीय होने के नाते वह सरकार के इस बयान को स्वीकार करते हैं कि ‘‘बाईस अप्रैल से 17 जून, 2025 के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री को कोई फ़ोन कॉल नहीं किया था।’’
पात्रा ऑपरेशन सिंदूर के बाद, आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति बताने के लिए विदेश गए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
उन्होंने कहा, ‘‘… लेकिन इस वास्तविकता को देखते हुए, मैं पूरी ईमानदारी से पूछता हूं कि क्या भारत ने अमेरिकी प्रशासन से औपचारिक रूप से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति सार्वजनिक रूप से संघर्ष विराम का ज़िक्र क्यों करते रहते हैं, जबकि सभी स्रोतों से पता चलता है कि न तो उनकी और न ही उनके प्रशासन की इसमें कोई सक्रिय भूमिका थी।’’
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के अशोकराव चव्हाण ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री के बयान को महत्व नहीं दिया जा रहा है… वे (विपक्ष) ट्रंप की बातों पर तो विश्वास करते हैं, लेकिन हमारी सरकार की बातों पर विश्वास नहीं करते।’’
चव्हाण ने विपक्ष पर देश की सशस्त्र सेनाओं पर भी भरोसा न करने का आरोप लगाया।
शिवसेना (उबाठा) के संजय राउत ने कहा कि सरकार अभी तक यह नहीं बता पाई है कि पहलगाम आतंकी हमला कैसे हुआ। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है और यह केंद्र के अधीन आ गया है और इसकी पुलिस गृह मंत्रालय के निर्देशों का पालन करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस देश में 24 घंटे के भीतर उपराष्ट्रपति का इस्तीफा ले लिया जाता है, क्योंकि उन्होंने आपके निर्देशों का पालन नहीं किया, लेकिन 26 लोगों की हत्या के बाद भी किसी ने न तो इस्तीफा दिया और न ही माफ़ी मांगी।’’
निर्दलीय सदस्य अजीत कुमार भुयान ने जानना चाहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने युद्धविराम की घोषणा कैसे की। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसी ने भी यह जवाब नहीं दिया है कि आतंकवादी पहलगाम हमले को अंजाम देने के लिए कैसे घुसे।
सपा सदस्य जावेद अली खान ने कहा कि चर्चा पहलगाम हमले पर होनी चाहिए थी कि यह कैसे और क्यों हुआ, क्योंकि किसी ने भी ऑपरेशन सिंदूर, इसकी सफलता और सशस्त्र बलों की भूमिका पर सवाल नहीं उठाया।
भाजपा के दिनेश शर्मा ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नये भारत का प्रतिबिंब है और यह आतंकवाद का उचित जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा।
आईयूएमएल सदस्य हारिस बीरन ने कहा कि सरकार को संघर्ष विराम के संबंध में ट्रंप के दावों का जवाब देना चाहिए। वहीं बीआरएस सदस्य केआर सुरेश रेड्डी ने कहा कि अगर सरकार दो-तीन दिन और ऑपरेशन जारी रहने देती तो इससे दुश्मन तबाह हो जाता।
शिवसेना (उबाठा) सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आंतरिक जवाबदेही तय करने की आवश्यकता है, क्योंकि पहलगाम आतंकवादी हमले के पीछे खुफिया विफलता थी।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट पूरी तरह से बंद करने की आवश्यकता है।
चर्चा में भाजपा की किरण चौधरी और रेखा शर्मा ने भी भाग लिया।
भाषा अविनाश सुरेश
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