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Thursday, September 4, 2025

2008 मालेगांव विस्फोट: प्रज्ञा और अन्य पर आतंकवादी कृत्य और हत्या के आरोप में मुकदमे के विवरण

News2008 मालेगांव विस्फोट: प्रज्ञा और अन्य पर आतंकवादी कृत्य और हत्या के आरोप में मुकदमे के विवरण

(तस्वीरों सहित)

मुंबई, 31 जुलाई (भाषा) देश में सबसे लंबे समय तक चले आतंकवादी मामलों में से एक 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सात लोगों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत हत्या एवं आपराधिक साजिश रचने के आरोप में मुकदमे चलाये गये।

मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर लगाए गए विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 101 घायल हुए थे।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि यह विस्फोट दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने किया था और उनका उद्देश्य ‘आर्यावर्त’ (हिंदू राष्ट्र) की स्थापना करना था।

इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन केवल सात लोगों पर ही मुकदमा चला, क्योंकि आरोप तय होने के समय बाकी सात को बरी कर दिया गया था।

विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया तथा कहा कि उन्हें (आरोपियों को) दोषी साबित करने के लिए (पर्याप्त) सबूत नहीं है।

मुकदमे का सामना करने वाले सात आरोपियों का ब्योरा इस प्रकार है-

(1) प्रज्ञा सिंह ठाकुर: उन्हें अक्टूबर 2008 में प्रारंभिक जांच एजेंसी -महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप था कि जिस मोटरसाइकिल पर बम रखा गया था वह उनके नाम पर पंजीकृत थी।

अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि ठाकुर ने मामले के सह-आरोपियों के साथ भोपाल में एक बैठक में भी भाग लिया था, जहां इस बात पर चर्चा हुई थी कि 2006 में मालेगांव में किए गए विस्फोट का मुस्लिम समुदाय से बदला लिया जाना चाहिए।

इस बैठक के दौरान ठाकुर ने कथित तौर पर कहा था कि वह विस्फोट करने के लिए लोग उपलब्ध कराएंगी।

राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण (एनआईए) द्वारा मामले की जांच अपने हाथ में लेने के बाद उसने 2016 में ठाकुर को क्लीन चिट देने की कोशिश की। हालांकि, एक विशेष अदालत ने इनकार करते हुए कहा कि ठाकुर को मुकदमे का सामना करना होगा।

बंबई उच्च न्यायालय से 25 अप्रैल 2017 को जमानत मिलने से पहले ठाकुर ने आठ साल से ज़्यादा वक्त जेल में बिताया।

ठाकुर ने 2019 में भाजपा के टिकट पर भोपाल से लोकसभा चुनाव जीता और बाद में सांसद के रूप में शपथ ली। हालांकि उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया।

(2) प्रसाद श्रीकांत पुरोहित: जब उन्हें एटीएस ने गिरफ्तार किया था तब वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्यरत थे। उनके खिलाफ उन बैठकों में शामिल होने का आरोप था, जहां विस्फोट की कथित साजिश रची गई थी।

पुरोहित को नवंबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था और सितंबर 2017 में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी।

अदालत को दिए अपने अंतिम बयान में, पुरोहित ने आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान एटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने उनके खिलाफ झूठा मामला गढ़ा है।

(3) रमेश उपाध्याय: वह एक सेवानिवृत्त सेना मेजर हैं। उनपर भी भोपाल में एक बैठक में शामिल होने का आरोप था, जहां साज़िश रची गई थी। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि उपाध्याय ने ‘हिंदू राष्ट्र’ के गठन के लिए जोर दिया था।

(4) समीर कुलकर्णी: उनके खिलाफ भी उन बैठकों में शामिल होने का आरोप था, जहां कथित साज़िश रची गई थी और योजना पर चर्चा हुई थी। उन्हें अक्टूबर 2008 में गिरफ़्तार किया गया था और सितंबर 2017 में बंबई उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी।

(5) अजय राहिरकर: वह कथित तौर पर ‘अभिनव भारत’ संगठन के कोषाध्यक्ष थे। उनपर आरोपी प्रसाद पुरोहित के निर्देश पर धन इकट्ठा करने और उसे सह-अभियुक्तों को उनकी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए हथियार और विस्फोटक खरीदने हेतु वितरित करने का आरोप था।

उन्हें दो नवंबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था और 11 नवंबर 2011 से वह जमानत पर थे।

(6) सुधाकर द्विवेदी: उनपर नासिक में एक बैठक में शामिल होने का आरोप था, जहां सह-आरोपी पुरोहित ने कथित तौर पर मुसलमानों द्वारा हिंदुओं पर किए गए अत्याचारों के वीडियो दिखाए थे।

(7) सुधाकर चतुर्वेदी: उनपर भी नासिक में हुई बैठक में मौजूद रहने का आरोप था। उन्हें नवंबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था और 2017 में एक विशेष अदालत ने उन्हें जमानत दी थी।

भाषा शोभना सुरेश

सुरेश

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