लखीमपुर खीरी, एक अगस्त (भाषा) जैव विविधता से भरपूर दुधवा बाघ अभयारण्य (बीटीआर) में ‘टाइगर बीटल’ कीट की 19 प्रजातियां पाई गई हैं, जिनमें से चार प्रजातियां उत्तर प्रदेश में पहली बार मिली हैं। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में इन प्रजातियों का पता चला है।
तमिलनाडु में स्थित गैर सरकारी संगठन रोपालोसेरा एंड ओडोनाटा एसोसिएशन ऑफ राजपलायम (आरओएआर) द्वारा पहली बार आयोजित ‘टाइगर बीटल इंडिया फेस्ट 2025’ के तहत यह सर्वेक्षण किया गया था।
टाइगर बीटल एक फुर्तीला, शिकार करने वाला कीट है जो अपने चटकीले रंगों और शिकार में फुर्ती के लिए जाना जाता है। बाघ की तरह शिकार का पीछा करने की वजह से इसे टाइगर बीटल कहा जाता है।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के परियोजना अधिकारी रोहित रवि के साथ दुधवा में सर्वेक्षण करने वाले डीटीआर के क्षेत्रीय जीवविज्ञानी और आउटरीच कार्यक्रम के प्रमुख विपिन कपूर सैनी ने कहा, ‘दुधवा में टाइगर बीटल के दस्तावेजीकरण के लिए किया गया यह सर्वेक्षण उत्तर प्रदेश में दूसरा सर्वेक्षण था, इससे पहले 1980 में सर्वेक्षण किया गया था।’
सैनी ने कहा, ‘सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप दुधवा में टाइगर बीटल की 19 प्रजातियों का पता चला, जिनमें से चार प्रजातियां, ‘लोफिरा मुटिगुट्टाटा’, ‘राइटिडोफैना’, ‘सिसिंडेला साइनेआ’ और ‘सिलिंडेरा वेनोसा’, उत्तर प्रदेश में पहले कभी नहीं मिली थीं।”
सैनी ने कहा, ‘टाइगर बीटल की खोज ने दुधवा की उल्लेखनीय जैव विविधता को उजागर करते हुए इसे भारत के प्रमुख जैव विविधता स्थलों में से एक के रूप में स्थापित किया है। सर्वेक्षण के दौरान टाइगर बीटल जैसे सबसे छोटे जीवों का भी दस्तावेजीकरण किया गया।’
इस खोज से प्रसन्न होकर, फील्ड डायरेक्टर डॉ. एच. राजामोहन ने कहा कि संरक्षण प्रयासों में केवल बाघ और गैंडों जैसे आकर्षक विशाल जीव ही नहीं, बल्कि अन्य छोटे जीव भी शामिल हैं।”
उन्होंने कहा कि टाइगर बीटल इंडिया फेस्ट के तहत 19 प्रजातियों की खोज, कम ज्ञात लेकिन पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों के दस्तावेजीकरण और संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
डीटीआर के उप निदेशक जगदीश आर. ने कहा कि टाइगर बीटल की 19 प्रजातियों के दस्तावेजीकरण से दुधवा के समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में छिपी विविधता उजागर हुई है।
उन्होंने कहा कि टाइगर बीटल की खोज महज एक वैज्ञानिक घटना नहीं है, बल्कि अक्सर नजरअंदाज किए जाने वाले कीटों की ओर ध्यान आकर्षित करने का एक सहयोगात्मक प्रयास है।
आरओएआर के संस्थापक निदेशक और टाइगर बीटल इंडिया फेस्ट 2025 के आयोजक वी शरण ने कहा कि वे इस आयोजन को लेकर संशय में थे, क्योंकि बहुत से वैज्ञानिक या प्रकृति पर्यवेक्षक टाइगर बीटल से परिचित नहीं थे।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, फेस्ट को मिली प्रतिक्रिया और इसके माध्यम से एकत्रित की गई जानकारी ने इसकी सफलता को उजागर किया है।’
भाषा सं किशोर जफर शोभना जोहेब
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