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Thursday, September 4, 2025

महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में विकास, शांति को लेकर भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस की आलोचना की

Newsमहबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में विकास, शांति को लेकर भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस की आलोचना की

जम्मू, एक अगस्त (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला बोलते हुए उन पर जनता से भारी जनादेश मिलने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में विकास और शांति स्थापित करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की विरासत का जिक्र किया और इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र के मुद्दों का समाधान दिल्ली से नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एकता से ही हो सकता है।

पीडीपी अध्यक्ष ने पार्टी की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भाजपा, जो 2018 से दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश दोनों में सत्ता में है, जम्मू में शांति और विकास लाने में पूरी तरह विफल रही है। मुझे बताएं, 30 सीटें पाने के बाद भाजपा ने जम्मू के लिए क्या किया है? बेरोजगारी चरम पर है, संसाधन बाहरी लोगों को सौंप दिए गए हैं और महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है।’’

उन्होंने 50 सीटें हासिल करने वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस पर बिना कोई परिणाम दिए खोखले वादे करने का भी आरोप लगाया।

महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘‘जब तक पूर्ण शांति नहीं होगी, विकास संभव नहीं है। भाजपा जम्मू के लोगों को मूर्ख बनाती रहती है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस पूरे क्षेत्र को गुमराह करती रहती है।’’

पीडीपी प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि समाधान के लिए दिल्ली की ओर देखने से पहले अंदरुनी स्तर पर शांति स्थापित की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मुफ्ती मोहम्मद सईद हमेशा कहते थे कि बेरोजगारी, पिछड़ापन और अशांति की चुनौतियां पूरे राज्य को प्रभावित करती हैं – सिर्फ एक क्षेत्र को नहीं।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रचुर प्राकृतिक और मानव संसाधनों के बावजूद जम्मू और कश्मीर पिछड़ा हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुफ्ती साहब का मानना था कि जम्मू-कश्मीर की समस्याओं का समाधान दिल्ली में नहीं, बल्कि हमारे अपने राज्य में है। कश्मीर के लोग एक तरह से सोचते हैं और जम्मू के लोग दूसरी तरह से। जब कश्मीर एक दिशा में बढ़ता है, तो जम्मू दूसरी दिशा में बढ़ता है। मुफ्ती साहब गर्मियों में भी जम्मू में बैठते थे। मैं उनसे पूछती थी कि वह इतनी गर्मी में यहां क्यों हैं, तो वे कहते थे – जब तक जम्मू-कश्मीर के लोग एक जैसा नहीं सोचते और एक ही रास्ते पर नहीं चलते, तब तक समस्या का समाधान नहीं हो सकता।’’

भाषा शफीक नरेश

नरेश

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