दिल्ली विधानसभा के बाहर अभिभावकों का प्रदर्शन, स्कूल शुल्क विनियमन विधेयक वापस लेने की मांग

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नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) अभिभावकों ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से स्कूल शुल्क विनियमन विधेयक को वापस लेने का आग्रह किया, जिसे एक दिन पहले सदन में पेश किया गया था।

‘यूनाइटेड वॉयस ऑफ पेरेंट्स एसोसिएशन’ के बैनर तले एकत्रित हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इस विधेयक में छात्रों के अभिभावकों के हितों की अनदेखी की गई है और शुल्क विनियमन प्रक्रिया में पारदर्शिता का भी अभाव है।

एसोसिएशन के अनुसार, विधेयक पहले से अस्वीकृत शुल्क की अनुमति देता है तथा शिकायत दर्ज कराने के लिए 15 प्रतिशत अभिभावकों के समर्थन की शर्त रखी गई है, जिससे अभिभावकों के लिए अपनी चिंताएं व्यक्त करना कठिन हो जाएगा।

उन्होंने यह भी दावा किया कि विधेयक में स्कूल के बही खातों के अनिवार्य ऑडिट का भी प्रावधान नहीं है, जो दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियमावली (डीएसईएआर) के तहत जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण पहलू था।

एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने कहा, ‘यह विधेयक शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को कमज़ोर करता है। इससे कई मध्यमवर्गीय परिवारों के आर्थिक हित प्रभावित होंगे।’

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों के नेता इस प्रदर्शन में शामिल हुए।

कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि सरकार ने विधेयक लाने से पहले हितधारकों से परामर्श नहीं किया।

आप नेता सौरभ भारद्वाज ने स्कूलों के ऑडिट के प्रावधान के अभाव और शिकायत दर्ज करने के लिए 15 प्रतिशत अभिभावकों की सहमति की शर्त पर चिंता जताई। भारद्वाज ने कहा, ‘हमने सरकार से इस प्रावधान पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।’

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प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर ‘शिक्षा बिक्री के लिए नहीं है’, ‘शुल्क वृद्धि वापस लो’ और ‘शिक्षा है, व्यापार नहीं’ जैसे नारे लिखे थे।

भाषा आशीष अविनाश

अविनाश

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