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Monday, September 1, 2025

दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में तपेदिक उन्मूलन के लिए अनुसंधान को बढ़ाएं: डब्ल्यूएचओ

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नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में तपेदिक (टीबी) को समाप्त करने की दिशा में गति तेज करने के लिए अनुसंधान, नवाचार और सहयोग को तत्काल बढ़ाने का आह्वान किया है।

उसका कहना है कि दुनियाभर में तपेदिक के जितने मामले हैं उनमें से करीब आधे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र से हैं यानी विश्व में सबसे अधिक तपेदिक संक्रमण एवं उससे मौतें इस क्षेत्र में होती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में तपेदिक को समाप्त करने की दिशा में गति तेज करने के लिए अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए आयोजित तीन दिवसीय डिजिटल कार्यशाला में विशेषज्ञ, राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबंधक और शोधकर्ता एवं नागरिक समाज के सदस्य भाग ले रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की प्रभारी अधिकारी डॉ. कैथरीना बोहेम ने कहा, ‘‘केवल हमारे क्षेत्र में ही लगभग 50 लाख लोग तपेदिक से संक्रमित हैं और 2023 में लगभग 600,000 लोग इस बीमारी से मर गए।’’

तत्काल कार्रवाई का आह्वान करते हुए, उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीबी उन्मूलन रणनीति के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान और नवाचार में तेजी लाने के लिए सहयोग की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए नए उपकरणों, तकनीकों और दवाओं को अपनाने तथा उनका उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इन नवाचारों तक समय पर और समान पहुंच सुनिश्चित करना बड़े पैमाने पर प्रभाव और किसी को भी पीछे न छोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है।

हालांकि इस क्षेत्र में 2023 में तपेदिक के मामलों के पंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जो कोविड-19 से संबंधित बाधाओं के बाद सुधार का संकेत है, लेकिन सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप तपेदिक उन्मूलन से जुड़े रणनीति लक्ष्यों को पूरा करने के लिए यह प्रगति अपर्याप्त है। इस लक्ष्य के तहत वर्ष 2015 के स्तर की तुलना में 2030 तक टीबी से होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत की कमी और मामलों में 80 प्रतिशत की कमी लाने का आह्वान किया गया है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद, तपेदिक एक बार फिर दुनिया में एकल संक्रमण कारक से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण बनकर उभरा है।

संगठन ने कहा कि यह सबसे गरीब और सबसे कमज़ोर तबके पर असमान बोझ डालता है, जिससे असमानताएं और बढ़ जाती हैं।

भाषा राजकुमार संतोष

संतोष

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