गुवाहाटी, छह अगस्त (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को लोगों से कानून अपने हाथ में न लेने, लेकिन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखने का आग्रह किया।
शर्मा ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार ऐसे विरोध-प्रदर्शनों का समर्थन करती है और “अगर कोई असमिया समुदाय को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, तो स्थिति बदतर हो जाएगी।”
मुख्यमंत्री ने कई छात्र और युवा संगठनों के उस आह्वान से जुड़े सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की, जिसके तहत बांग्ला भाषी मुसलमानों से ऊपरी असम के शिवसागर, लखीमपुर, तिनसुकिया और जोरहाट जिलों को छोड़कर जाने के लिए कहा गया है।
इन इलाकों से हमले की कुछ घटनाएं भी सामने आई हैं।
शर्मा ने कहा, “अगर कोई हमारी संस्कृति और आस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, तो लोग विरोध करेंगे। हमें ऐसे प्रयासों के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना होगा और इन्हें रोकना होगा।”
उन्होंने कहा कि गोलाघाट जिले के उरियमघाट में हाल ही में चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान जो कुछ देखा गया, वह “चौंकाने वाला था और मैं अगले कुछ दिनों में कई और वीडियो साझा करने जा रहा हूं, जो और भी अधिक चिंताजनक हैं।”
शर्मा ने दावा किया कि अतिक्रमणकारियों ने हजारों बीघा जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है और वे वहां मत्स्य पालन करने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि लखीमपुर, जोरहाट और शिवसागर राज्य के ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान हैं और “अगर हम इस तरह के अतिक्रमण के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, तो कौन उठाएगा?”
शर्मा ने कहा, “मेरा मानना है कि हमारे लोगों को एकजुट होकर इसका कानूनी ढंग से विरोध करना चाहिए। इसके बाद कोई और मौका नहीं मिलेगा, लेकिन यह कानून की सीमाओं के भीतर ही किया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए, बल्कि इन मुद्दों के खिलाफ आंदोलन करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन अवैध तत्वों का डटकर विरोध करें, क्योंकि अगर असमिया लोग आवाज नहीं उठाएंगे, तो कानून या पुलिस हमारा साथ कैसे दे सकती है? आइए, हम कानूनी तरीके से विरोध करें और बाकी काम पुलिस पर छोड़ दें।”
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राज्य सरकार का संरक्षण ऊपरी असम में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रहा है। उन्होंने निवासियों से कुछ “गुमराह युवाओं” की ओर से भड़काए जा रहे सांप्रदायिक संघर्ष से बचने का आग्रह किया है।
असम सरकार ने इस साल जून से अब तक सात बेदखली अभियान चलाए हैं, जिनसे 50,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि वन भूमि, ग्रामीण चरागाह रिजर्व, व्यावसायिक चरागाह रिजर्व, नामघर और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों पर सभी अनधिकृत कब्जे चरणबद्ध तरीके से हटाए जाएंगे।
बेदखली अभियान के कारण विस्थापित हुए अधिकांश लोग बांग्ला भाषी मुसलमान हैं। इन लोगों का दावा है कि उनके पूर्वज ब्रह्मपुत्र नदी के बहाव के कारण ‘चार’ या नदी क्षेत्र में उनकी जमीन बह जाने के बाद उन क्षेत्रों में आकर बस गए थे, जहां बेदखली अभियान चलाया गया है।
भाषा पारुल नरेश
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