नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र, दिल्ली सरकार और केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति से दिल्ली रिज से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक एकीकृत तंत्र बनाने को कहा।
यह रिज दिल्ली में अरावली पर्वत शृंखला का विस्तार है और एक चट्टानी, पहाड़ी और वन क्षेत्र है। प्रशासनिक कारणों से इसे चार क्षेत्रों- दक्षिण, दक्षिण-मध्य, मध्य और उत्तर- में विभाजित किया गया है। दिल्ली का रिज कुल करीब 7,784 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ को दिल्ली रिज वन के मामलों से निपटने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत द्वारा गठित कई समितियों के बारे में जानकारी दी गई।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जहां तक दिल्ली रिज से जुड़े मामलों का सवाल है, हम पिछले दो साल से इस पर नजर रख रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ।’’
अदालत ने पक्षकारों को बैठक करने और पेड़ों की कटाई तथा अन्य संबंधित मुद्दों की मंजूरी के वास्ते एक एकीकृत प्रणाली बनाकर समाधान खोजने का ‘‘अंतिम अवसर’’ दिया।
पीठ ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा अन्य हितधारकों से इस मुद्दे पर निर्णय लेने को कहा।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि आवश्यक हो तो हितधारकों को समाधान खोजने के लिए सप्ताह में एक बार बैठक करनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को अर्धसैनिक बलों के अस्पताल के लिए संपर्क मार्ग को चौड़ा करने के लिए रिज क्षेत्र में अदालत के प्रतिबंध के बावजूद पेड़ों की कटाई करने के लिए अवमानना का दोषी ठहराया था और बड़ी संख्या में पेड़ लगाने का आदेश दिया था।
भाषा धीरज सुरेश
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