श्रीनगर, छह अगस्त (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वरिष्ठ नेता वहीद-उर-रहमान पारा ने बुधवार को केंद्र शासित प्रदेश में सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के वास्ते न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।
पुलवामा से विधायक पारा ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली को संबोधित एक अर्जी में यह दलील दी।
पीडीपी नेता ने अपनी अर्जी में दलील दी कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में, वह सरकारी कार्यालयों में जरूरत आधारित, मौसमी, आकस्मिक और नियमित कर्मचारियों के शोषण के बारे में शिकायतें सुनते रहे हैं, जिसमें न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, नियमों और कानून को लागू नहीं किया जाता है, उन्हें सरकार द्वारा स्वीकृत नियम के अनुसार मासिक और दैनिक मजदूरी/वेतन प्रदान नहीं किया जाता।’’
पारा ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कुशल, अकुशल, उच्च कुशल और मंत्रिस्तरीय कार्य के लिए मजदूरी बढ़ा दी है, जबकि दैनिक वेतनभोगियों के लिए यह राशि मामूली रूप से बढ़ाकर 300 रुपये प्रतिदिन की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘मौसमी और आकस्मिक मजदूरों की शिकायतें और चिंताएं हैं कि नई संशोधित दरें अक्षरशः लागू नहीं की गई हैं।’’
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 15 और 21 के तहत श्रमिकों के मौलिक अधिकारों को मजबूत करने के लिए जम्मू-कश्मीर के सरकारी कार्यालयों में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए मुख्य न्यायाधीश से व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की और उनसे सक्षम विभाग से स्थिति रिपोर्ट या कार्रवाई रिपोर्ट मांगने का भी अनुरोध किया।
भाषा धीरज सुरेश
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