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Wednesday, September 3, 2025

राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ‘तटीय पोत परिवहन विधेयक 2025’ पारित

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नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) भारतीय तटीय जलक्षेत्र में व्यापार करने वाले जहाजों को विनियमित करने के प्रावधान वाले ‘तटीय पोत परिवहन विधेयक 2025’ को बृहस्पतिवार को संसद की मंजूरी मिल गई।

राज्यसभा में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर जारी विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई। लोकसभा में यह पहले ही पारित हो चुका है।

विधेयक पारित होने के बाद उच्च सदन की बैठक दोपहर दो बज कर तीस मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

एक बार के स्थगन के बाद दो बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने तटीय पोत परिवहन विधेयक 2025 को चर्चा करने एवं पारित करने के लिए पेश किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यावासयिक जरूरतों को लेकर भारतीय नागरिकों के स्वामित्व वाले और उनके द्वारा संचालित भारत के ध्वज लगे जहाजों की तटीय व्यापार में सहभागिता को प्रोत्साहित करेगा।

उन्होंने कहा कि मसौदा कानून में तटीय पोत परिवहन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के प्रावधान हैं, जो जलक्षेत्र में देश की सामरिक सैन्य योजनाओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

पीठासीन अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने विधेयक पर अपनी राय रखने वाले सदस्यों के नाम पुकारे। इस दौरान विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा।

विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले रही भाजपा की दर्शना सिंह ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विधेयक है जिसे देश की तटीय नौवहन क्षमता को और अधिक विकसित करने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि देश की विशाल समुद्री तट रेखा है लेकिन इसकी क्षमता का जितना लाभ देश को मिलना था वह नहीं मिल पाया।

उन्होंने कहा कि तटीय नौवहन सस्ता है और किफायती भी है फिर भी इसकी परिवहन में साझेदारी न्यूनतम है।

हंगामे के बीच व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पहले सदन में देश के समक्ष महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करायी जानी चाहिए। उनका संकेत एसआईआर मुद्दे पर चर्चा कराने की ओर था।

आसन की अनुमति से बोलते हुए सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि यह विधेयक महत्वपूर्ण है और इस पर चर्चा कर इसे पारित करवाना भी आवश्यक है।

इसके बाद द्रमुक के तिरूचि शिवा और कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी ने भी व्यवस्था का प्रश्न उठाय जिसे पीठासीन अध्यक्ष तिवाड़ी ने खारिज कर दिया।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए वाईएसआरसीपी के गोला बाबूराव ने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण विधेयक है। उन्होंने कहा कि विधेयक में भारतीय जल सीमा में भारतीयों की मालिकाना हक वाली कंपनियों को छोड़कर बिना लाइसेंस वाले बाहरी जहाजों को रोकने के प्रावधान हैं।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून के प्रावधानों के लागू होने से भारतीय जलक्षेत्र में स्वदेशी लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

अन्नाद्रमुक के डॉ एम थंबीदुरै ने मछुआरों के संरक्षण का मुद्दा उठाया और कहा कि जब बंदरगाह और समुद्री व्यापार के लिए नीति बनाई जाए तो उसमें मछुआरों को लेकर संवेदनशीलता होनी चाहिए।

भाजपा की कल्पना सैनी ने कहा कि यह विधेयक एक राष्ट्रीय रणनीति एवं नौवहन योजना तैयार करने में मददगार होगा।

शिवसेना के मिलिंद मुरली देवरा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अन्य माध्यमों की तुलना में जल मार्ग से माल की आवाजाही किफायती है जिसका उपयोग किया जाना चाहिए। फिलहाल परिवहन में हमारे जलमार्गों की हिस्सेदारी केवल दो फीसदी है जिसे प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए बढ़ाने में यह विधेयक उपयोगी होगा।

भाजपा के ब्रजलाल ने कहा कि देश की तटरेखा 7516 किलोमीटर लंबी है और इससे उल्लेखनीय परिवहन होता है। इस परिवहन को समय के साथ बढ़ाना जरूरी है और यह विधेयक इसके लिए कारगर है।

तेदेपा के मस्तान राव यादव बीधा ने कहा कि कि यह विधेयक बहुत ही महत्वपूर्ण है और इससे पोत परिवहन क्षेत्र में शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही यह तटीय सुरक्षा को भी पुख्ता बनाएगा।

हंगामे के बीच हुई चर्चा में भाजपा के रामभाई हरजीभाई मोकारिया और असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने भी हिस्सा लिया।

चर्चा का जवाब देते हुए सोनोवाल ने कहा कि अब तक समुद्री व्यापार में हमारे जहाजों की गतिविधियां कम रही हैं, कानून में उन्हें प्रोत्साहित करने की व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘समुद्री क्षेत्र में हमारी शक्ति का सही दिशा में उपयोग करने के लिए यह विधेयक लाया गया।’’

सोनोवाल ने कहा कि समुद्र से माल ढुलाई पर्यावरण हितैषी है और यह हरित परिवहन को बढ़ावा देता है।

मंत्री ने कहा, ‘‘यह परिवहन का बहुत किफायती साधन है। समुद्र से माल ढुलाई पर 20 पैसा प्रति टन प्रति किलोमीटर, रेल से एक रुपया बीस पैसा से डेढ़ रुपया प्रति टन प्रति किमी, सड़क मार्ग के जरिये दो रुपये प्रति टन प्रति किमी से तीन रुपये प्रति टन प्रति किमी का खर्च आता है।’’

उन्होंने कहा कि ‘नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी’ की शुरुआत किये जाने के समय प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) ने कहा था कि माल ढुलाई पर लागत को दोहरे अंक से एकल अंक में लाने की जरूरत है।

सोनोवाल ने कहा, ‘‘आज सड़क मार्ग से करीब 66 प्रतिशत, रेल से 31 प्रतिशत, समुद्री मार्ग से केवल पांच प्रतिशत और नदी मार्ग से दो प्रतिशत माल ढुलाई होती है। इसलिए, माल ढुलाई को बढ़ाने के लिए हमें समुद्री माल ढुलाई को और लोकप्रिय बनाना होगा।’’

उन्होंने कहा कि इस तरह समुद्री वाणिज्य को बढ़ाने के लिए यह विधेयक लाया गया। मंत्री ने कहा, ‘‘यह हमारे पूरे तट क्षेत्र को अधिक व्यवहार्य बनाएगा, जहाजों के निर्बाध आवागमन को बढ़ावा देगा तथा रोजगार और आय का सृजन करेगा।’’

मंत्री के जवाब के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके बाद सदन की बैठक दोपहर दो बज कर तीस मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

भाषा मनीषा अविनाश

मनीषा माधव

माधव

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